भगवान शिव गले में क्यों धारण करते हैं नाग? जानिए

प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है. ये पर्व भगवान शिव को समर्पित है. आज देशभर में महाशिवरात्रि मनाई जा रही है.

भगवान शिव का रूप आकर्षक, विचित्र, निराला और रहस्यमय है. शिवजी बाघ की छाल का वस्त्र, जटा में गंगा, शरीर में भस्म, माथे पर चंद्रमा और गले में नाग धारण करते हैं.

शिवजी के इन चीजों को धारण करने के पीछे कई रहस्य हैं. आइए आज आपको बताते हैं कि शिवजी अपने गले में नाग क्यों धारण करते हैं और उसका क्या नाम है...

भगवान शिव के गले में नाग धारण करना इस बात का प्रतिक है कि उनकी महिमा मानव के साथ-साथ नागों पर भी है. शिव नाग-नागिन के भी आराध्य देव हैं.

यही कारण है कि भगवान शिव अपने गले में सांप भी धारण किए होते हैं.

शिवजी ने अपने गले में जो सांप धारण किए हैं, उसका नाम वासुकी नाग है.

नागराज वासुकी शिवजी के भक्त थे. पौराणिक कथाओं के अनुसार नागराज वासुकी ने समुद्र मंथन के दौरान स्सी का कार्य किया, जिससे सागर को मथा गया.

इस दौरान वासुकी लहूलुहान हो गए. उनकी भक्ति देखकर शिवजी उनसे काफी प्रसन्न हो गए और उन्हें नागलोक का राजा बना दिया.

इसके बाद भगवान शिव ने उन्हें अपने गले में आभूषण की तरह लिपटे रहने का वरदान दिया.

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और ज्योतिष गणनाओं पर आधारित है. The Printlines इसकी पुष्टि नहीं करता है.)