कुंवारी लड़कियों को तुलसी में नहीं चढ़ाना चाहिए जल, जानिए चौंकाने वाला कारण 

हिंदू धर्म में कई घरों में बड़े बुजुर्ग कुंवारी लड़कियों को कुछ काम करने के लिए मना करते हैं. वजह पूछने पर ये बोलकर टाल देते हैं कि सब जानना जरुरी नहीं. जब शादी हो सब समझ आ जाएगा. 

हालांकि, हमारे मन में इन चीजों को शादी से पहले जानने की लालसा रहती है. आइए बताते हैं पूरा मामला.

दरअसल, कुंवारी कन्या को तुलसी में जल देने और पैरों में बिछिया भी पहनने की मनाही होती है. इसकी खास वजह है.

आइए विस्तार में बताते हैं कि कुंवारी कन्याओं को कौन-कौन से काम करने की मनाही होती है. इसके पीछे की वजह क्या है?

हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को पवित्र और शुभ माना जाता है. कहते हैं तुलसी भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है. वहीं, तुलसी जालंधर नामक असुर की पत्नी थी. 

आपको बता दें कि तुलसी का मूल नाम वृंदा है. एक बार भगवान विष्णु को तुलसी से छल करना पड़ा था. 

जब तुलसी को इस बारे में पता चला, तो उन्होंने अपने शरीर को अग्नि में समर्पित कर देह का त्याग कर दिया. उसी राख से तुलसी पौधा बना. 

वृंदा एक शादीशुदा स्त्री थी, जो पवित्र थी. इसी कारण केवल सुहागन महिला ही तुलसी में जल और सिंदूर अर्पित करती हैं. ताकि, सुहाग अमर रहे. इस कारण कुंवारी कन्या को तुलसी में जल अर्पित नहीं करना चाहिए.

कुंवारी कन्याओं को बिछिया पहनने की भी मनाही होती है. बता दें कि बिछिया संतान सुख देती है. दरअसल बिछिया का असर गर्भाशय पर पड़ता है. इसलिए बिछिया को सुहाग से जोड़ा जाता है.

बता दें कि कुंवारी कन्याओं को बाल खोलकर सोने की मनाही होती है. दरअसल ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा हावी हो जाती हैं.

कुंवारी कन्याओं को सिंदूर और सिंदूर वाली बिंदी लगाने की भी मनाही इसलिए होती है क्योंकि इसका सीधा संबंध सुहाग यानी कि विवाहित महिलाओं से होता है.

कुंवार कन्याओं को बड़ों के पैर छूने की भी मनाही होती है. दरअसल कुंवार कन्याओं को देवी के समान माना जात है. लोग देवी के चरण छूते हैं ना कि स्पर्श करवाते हैं. 

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और ज्योतिष गणनाओं पर आधारित है. The Printlines इसकी पुष्टि नहीं करता है.)