पका चावल बन सकता है मुसीबत! स्टोर करने से पहले हो जाएं सावधान

चावल हमारे खाने का मुख्य हिस्सा है. क्या आपको पता हैं कि पके चावल को 24 घंटे से ज्यादा स्टोर करना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है? 

आयुर्वेद में पके हुए चावल को लेकर कई महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं. आयुर्वेद एक्सपर्ट की मानें, तो पके हुए चावल को 24 घंटे से ज्यादा क्यों नहीं रखना चाहिए.

आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. डिम्पल जंगडा ने अपने इंस्टग्राम अकाउंट में वीडियो शेयर करके बताया कि लंदन की नेशनल हेल्थकेयर सर्विस ने हाल सलाह दी है.

पके हुआ चावल को दोबारा गर्म करने से पहले सिर्फ एक दिन के लिए फ्रिज में रखना चाहिए. उनके अनुसार, गर्म किया हुआ बासी चावल खाने से फूड पॉइजनिंग हो सकती है.

नेशनल हेल्थ सर्विस के मुताबिक, कच्चे चावल में अक्सर बेसिलस सेरियस नामक बैक्टीरिया के बीजाणु पाए जाते हैं, जो फूड पॉइजनिंग का कारण बन सकते हैं. 

ये बैक्टीरिया तेजी से बढ़ते हैं और चावल पकाने के बाद भी जिंदा रह सकते हैं. अगर पका हुआ चावल कमरे के तापमान पर ज्यादा देर रखा जाए, तो ये बीजाणु बैक्टीरिया में बदल सकते हैं. 

अगर पका हुआ चावल फ्रिज में रखा जाए, तो नमी के कारण फंफूद लग सकता है. इसके बैक्टीरिया तेजी से बढ़ते हैं और टॉक्सिस चीजें पैदा करते हैं. ये फूड पॉइजनिंग का कारण भी बनते हैं.

कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में फूड साइंस के प्रोफेसर डॉ. रॉबर्ट ग्रेवानी के अनुसार, फ्राइड राइस सिंड्रोम उसी बेसिलस सेरियस बैक्टीरिया के कारण होता है.

ये बैक्टीरिया बीजाणु बनाते हैं, जो नुकसानदेह टॉक्सिस चीजें छोड़ते हैं. सफेद और ब्राउन राइस दोनों में ही बीजाणु बनाने वाला बेसिलस सेरियस बैक्टीरिया पाया जाता है.

सूखे या पके हुए चावल पर काला, हरा या सफेद पाउडर जैसा पदार्थ उग सकता है. दरअसल, ये फंफूद है. चावल पर उगने वाला सबसे आम फंफूद एस्परगिलस ऑरिजी है.

इसे खाने से पेट में तकलीफ होती है. चाहे सूखा चावल हो या पका. अगर वातावरण उपयुक्त हो, तो उस पर फंफूद लग सकता है. 

फंफूद को पनपने के लिए कुछ खास परिस्थितियां चाहिएं. जैसे- सीधी धूप न आना, 55% से ज्यादा ह्युमिडिटी, 60 से 80 डिग्री फारेनहाइट के बीच का तापमान, पोषक तत्वों का सोर्स.

अगर चावल पर काफी समय तक फंफूद लगा रहने दिया जाए, तो यह मायकोटॉक्सिन पैदा करना शुरू कर सकता है.

चावल में फफूंद के कारण बनने वाले जहरीले पदार्थ पेट में तकलीफ, उल्टी, दस्त और यहां तक ​​कि लिवर खराब होने और कैंसर का कारण भी बन सकते हैं.