कब है ईद-उल-फितर, जानिए 10 या 11 अप्रैल कब है ईद?

इस्‍लाम में रमजान के महीने को बहुत पवित्र महीना माना गया है. यह इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना होता है और इसे माह-ए-रमजान भी कहा जाता है. 

मुस्लिम समुदाय के हर वयस्‍क व्‍यक्ति पर रमजान महीने में रोजे रखना फर्ज होता है. केवल बीमार और गर्भवती महिलाओं को ही इससे छूट मिली हुई है.

रोजे के दौरान तड़के सुबह उठकर सेहरी की जाती है और फिर पूरे दिन उपवास रखा जाता है. फिर सूर्यास्‍त के बाद इफ्तार करके रोजा खोला जाता है. रोजे रखना काफी कठिन होता है.

इसमें पूरे दिन बिना कुछ खाए, बिना पानी पिए रहना होता है. उपवास करने के साथ-साथ रमजान के महीने में ज्‍यादा से ज्‍यादा समय तब अल्‍लाह की इबादत की जाती है और अपने गुनाहों की माफी मांगी जाती है.

एक महीने के रोजे के बाद खुशी और उल्‍लास के साथ ईद मनाई जाती है. रमजान के बाद पड़ने वाली ईद को ईद-उल-फितर, छोटी ईद और मीठी ईद कहते हैं. दरअसल इस ईद में मीठी सेवईयां खाई और खिलाई जाती हैं इसलिए इसे मीठी ईद कहते हैं. 

रमजान के महीने के आखिरी दिन जब चांद दिखाई देता है तो उसके अगले दिन ईद-उल-फितर यानी ईद मनाई जाती है. एक महीने तक रोजा रखने के बाद ईद के इंतजार की खुशी अलग ही होती है. 

ईद की तारीख चांद दिखने से ही तय होती है. ईद का चांद दिखने पर ईद की तारीख का ऐलान सबसे पहले सऊदी अरब में ही किया जाता है. 

ऐसे में यदि 9 अप्रैल की शाम को चांद दिखाई दे जाता है तो ईद 10 अप्रैल को मनाई जाएगी. वहीं 10 अप्रैल को चांद दिखने की सूरत में ईद का त्‍योहार 11 अप्रैल को मनाया जाएगा. 

मान्यता है कि सबसे पहली बाद ईद सन् 624 ईस्वी में पैगंबर मुहम्मद ने मनाई थी. दरअसल यह ईद पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब ने बद्र के युद्ध में जीत होने की खुशी में मनाई थी. 

तब से ही रमजान के बाद ईद मनाने की परंपरा जारी है. मुस्लिम समुदाय साल में 2 बार ईद मनाते हैं. ईद-उल-फितर के अलावा ईद-उल-अजहा भी मनाई जाती है. ईद-उल-अजहा को बकरीद भी कहते हैं.