इस दिन पड़ रहा है बुढ़वा मंगल, जानिए इसकी रोचक कथा  

हिंदू धर्म में मंगलवार का दिन पवन पुत्र हनुमानजी को समर्पित है. मंगलवार को संकटमोचन हनुमान जी की पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से पूजा पाठ करने से वे जल्‍दी प्रसन्न होते हैं. 

दरअसल, इन मंगलवार में 4 से 5 मंगलवार ऐसे हैं, जो बेहद खास हैं. इसे बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल भी कहते हैं. बता दें कि ज्‍येष्‍ठ माह में पड़ने वाले सभी मंगलवार को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल कहते हैं. 

कहते हैं बुढ़वा मंगल के दिन हनुमानजी का पूजा करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. वहीं, बुढ़वा मंगल के पीछे क्या कथा है, आइए आपको बताते हैं.

इस मंगलवार के पीछे एक पौराणिक कथा है. कहते हैं कि वन में विचरण करते हुए भगवान राम का हनुमान जी से विप्र के रूप में मिलन इसी दिन हुआ था.

एक प्रसंग महाभारत काल का भी है. जब भीम को अपने बाहुबल का घमंड हो गया था, तब हनुमान जी ने बूढ़े वानर का रूप लेकर उनके घमंड को तोड़ा था.

आइए आपको बताते हैं बड़ा मंगल कब से आरंभ हो रहे हैं. इसे बुढ़वा मंगल क्‍यों कहते हैं. 

साल 2024 में चार बड़ा मंगल आएंगे. बड़ा मंगल में हनुमान जी के वृद्ध स्वरूप की पूजा की जाती है. विशेष तौर पर उत्‍तरप्रदेश के लखनऊ में बड़ा मंगल बहुत जोर-शोर से मनाया जाता है. 

पहला बड़ा मंगल – 28 मई 2024 दूसरा बड़ा मंगल – 4 जून 2024 तीसरा बड़ा मंगल – 11 जून 2024 चौथा बड़ा मंगल – 18 जून 2024

बुढ़वा मंगल को व्रत रखने और हनुमान जी की पूजा अर्चना करने से प्रेत बाधा, दुखों और कष्टों से मुक्ति मिलती है. बड़ा मंगल के दिन मंदिरों में भंडारे भी किए जाते हैं. मान्‍यता है कि बड़ा मंगल का व्रत करने से जीवन से नकारात्‍मकता खत्‍म होती है और सुख-समृद्धि बढ़ती है.

पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत काल में भीम को जब अपने बल और शक्ति का घमंड हो गया था. तब भीम के इस घमंड को तोड़ने के लिए हनुमान जी ने बूढ़े वानर का जन्म लिया था. एक बार भीम कहीं जा रहे थे तक वृद्ध रूप में हनुमान जी अपनी पूंछ को रास्‍ते पर फैलाकर लेट गए थे.

पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत काल में भीम को जब अपने बल और शक्ति का घमंड हो गया था. तब भीम के इस घमंड को तोड़ने के लिए हनुमान जी ने बूढ़े वानर का जन्म लिया था. एक बार भीम कहीं जा रहे थे तक वृद्ध रूप में हनुमान जी अपनी पूंछ को रास्‍ते पर फैलाकर लेट गए थे.

भीम ने उनसे असली रूप में आने का आग्रह किया. जब भीम ने हनुमान जी को देखा, तो चौंक गए. अपने अहंकार के लिए उन्होंने माफी भी मांगी. इसी दिन हनुमान जी ने भीम का घमंड तोड़ा. इसलिए इसे बुढ़वा मंगल भी कहते हैं.