क्यों नहीं पीना चाहिए फ्लाइट में शराब, जर्मन एयरोस्पेस के रिसर्च में हुआ खुलासा

शराब हमारी सेहत के लिए नुकसानदेह होती है. लेकिन अल्कोहल एयर ट्रैवल के दौरान पीना कितना नुकसानदेह है. 

शराब की लत वाले लोग ऐसी फ्लाइट में जाना पसंद करते हैं, जिसमें ड्रिंक सर्व होती हो. खासकर बिजनेस क्लास में ये सुविधा दी जाती है. 

फ्लाइट में लिकर सर्व करने को लेकर पहले भी कई बहस छिड़ी चुकी है. इसको लेकर जर्मन एयरोस्पेस सेंटर और आरडब्ल्यूटीएच आचेन यूनिवर्सिटी ने रिसर्च किया है.

हाल ही में छपे रिसर्च पेपर से पता चलता है कि आसमान में शराब पीना हमारे सेहत के लिए बड़ा रिस्क पैदा कर सकता हैं. खासकर ओल्ड पैसेंजर्स और बीमार लोग.

हवाई यात्रा के समय एयरक्राफ्ट केबिन में आर्टिफिशियल प्रेशर बनाया जाता है, जो समुद्र तल की हवा के दबाव के मुताबिक नहीं होता.

तब एयरक्राफ्ट तकरीबन 2,500 मीटर की ऊंचाई पर होता है. ऐसा मीडियम साइज की पहाड़ी चोटी पर होने जैसा है.

आपको बता दें कि ऊंचाई जितनी अधिक होगी, हवा का दाब उतना कम होगा. एयर प्रेशर कम होने से खून में ऑक्सीजन सेचुरेशन भी कम होगा. 

दरअसल, थोरैक्स जर्नल में छपी स्टडी के अनुसार हेल्दी ऑक्सीजन सैचुरेशन लगभग 90 प्रतिशत होता है. इसके कम होने से अंगों और मांसपेशियों और ऑक्सीजन मिलना बंद हो जाता है. 

ऐसा होने पर शरीर ब्रेन को ऑक्सीजन की सप्लाई करने की कोशिश करता है. तब ऑक्सीजन की कमी के चलते चक्कर आने के साथ ही मतली हो सकती है. 

ऐसे में सेंसेटिव यात्री गहरी या काफी तेजी से सांस लेना शुरू कर सकता है. शराब के कारण ऑक्सीजन की कमी हो सकती है.

इस स्टडी में 48 टेस्ट सब्जेक्ट को 2 ग्रुप्स में बांटा गया. एक जिसे नॉर्मल एंबिएंट प्रेशर के साथ स्लीप लेबोरेटरी में जांच की गई थी.

वहीं, दूसरे जिनको हवाई जहाज केबिन के समान हवा दाब वाले एल्टीट्यूड चेंबर में जांचा गया. सभी ग्रुप के कुछ लोगों ने सोने से पहले कुछ ने शराब नहीं पी बाकी ने पी ली. 

इस स्टडी में ये पता चला कि नकली विमान केबिन के नशे में टेस्ट सब्जेक्ट के एवरेज हार्ट रेट 88 बीट प्रति मिनट बढ़ गए. इस दौरान वह सो रहे थे. 

सोते समय भी उनका ऑक्सीजन सेचुरेशन लगभग 85 प्रतिशत गिर गया. उनकी औसत हृदय गति कंट्रोल ग्रिप के लोगों के तुलना में ज्यादा थी. उनका ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल कम था.

दरअसल, ये अंतर पहली नजर में ज्यादा सीरियस नहीं लगता. जबकि, नेगेटिव असर यंग और हेल्दी लोगों पर साफ तौर से देखा गया.

इसे ये भी पता चला की बुजुर्ग और बीमार लोगों के लिए कम ऑक्सीजन सप्लाई और बढ़ता हार्ट रेट जान का खतरा पैदा कर सकता है.