क्या हम किसी को अपनी आयु दे सकते हैं? जानिए प्रेमानंद जी महाराज ने क्या दिया जवाब

महान संत और विचारक प्रेमानंद जी महाराज के सुविचार हमारे जीवन को एक नई दिशा देते हैं. 

प्रेमानंद जी महाराज जीवन के सच्चे अर्थ को समझाते हैं. एक भक्त ने महाराज जी से सवाल किया कि क्या हम अपनी आयु किसी को दे सकते हैं.

इस पर महाराज जी ने कहा कि भगवान ही केवल यह कार्य कर सकते हैं.  भगवान के सीवा यह कार्य कोई नहीं कर सकता.

"विधना ने जो लिख दिया छठी रात्रि के अंक, राई घटे न तिल बढ़े, रहो जीव निशंक"

इसका अर्थ है कि जो भाग्य में लिखा है, वह निश्चित है, उसमें न तो राई भर कम हो सकता है और न ही तिल भर ज्यादा, इसलिए निश्चिंत रहो.

प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि राम जी का वनवास जाना, रावण द्वारा माता सीता का हरण सब कुछ होना ही था.

यह सब विधि का विधान है, प्रभु श्री राम और माता सीता जी के विधान में अगर कांटे लिखे थे, तो उनको कष्ट सहना पड़ा.

सुनहु भरत भावी प्रबल, बिलखि कहेउ मुनिनाथ, हानि लाभु जीवनु मरनु जसु अपजसु बिधि हाथ यह सब कुछ विधान के हाथ में है, जिसकी जितनी आयु लिखी है वह उतना ही जिएगा.

अगर ऐसा ना होता तो कोई भी अपनी आयु घटता कर अपने प्यारे की आयु बढ़ा देता. जिसकी जितनी आयु है वह उतना ही जिएगा, चाहे कितने भी उपाय कर लो.