महादेव का ऐसा अद्भुत धाम, जहां मंदिर के पत्थर से आती है डमरू की आवाज
भारत में 'देव भूमि' के नाम से मशहूर और बर्फीले पहाड़ों का प्रांत कहकर संबोधित होने वाले हिमाचल प्रदेश में एक ऐसा शिव मंदिर है जिसके पत्थर से डमरू की आवाज आती है. इसे बनाने में 39 साल लग गए.
इस मंदिर को एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर कहा जाता है. इसे यहां जटोली शिव मंदिर के नाम से ख्याति प्राप्त है. इस मंदिर के पत्थरों को जब आप थपथपाएंगे तो इससे डमरू की ध्वनि निकलेगी.
इस मंदिर के निर्माण के बारे में कहा जाता है कि इसका संकल्प स्वामी कृष्णानंद परमहंस ने लिया था. उन्होंने 1950 में यहां सोलन की इस दुर्गम पहाड़ी पर शिव मंदिर के निर्माण का बीड़ा उठाया.
लगभग 39 साल की कड़ी मेहनत के बाद इस मंदिर का निर्माण पूर्ण हुआ, लेकिन इससे ठीक 6 साल पहले 1983 में ही स्वामी जी का निधन हो गया.
फिर उनके शिष्यों ने स्वामी जी के अधूरे सपनों को साकार रूप दिया और इस मंदिर के निर्माण कार्य को पूर्णता प्रदान की.
सोलन में पहाड़ की दुर्गम और सबसे ऊंची चोटी पर 111 फीट ऊंचा यह मंदिर एशिया के सबसे ऊंचे मंदिर का गौरव धारण कर खड़ा है.
इस मंदिर के सबसे ऊंचे शिखर पर एक विशाल सोने का कलश है जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देता है.
इस मंदिर के अंदर महादेव का शिवलिंग भव्य एवं विशाल है और यह स्फटिक मणि का बना है. यहीं स्वामी कृष्णानंद की समाधि भी बगल में स्थित है.
हालांकि इस मंदिर को जिस स्थान पर बनाया गया है, वहां के बारे में पौराणिक मान्यता है कि यहां भगवान शिव आए थे और उन्होंने कुछ समय के लिए यहां वास किया था.
ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर कभी भगवान शिव का विश्राम स्थल हुआ करता था. इसके साथ ही भगवान शिव की लंबी जटाओं के कारण इसका नाम जटोली मंदिर पड़ा है.