पितृपक्ष में गर्भवती महिलाएं न करें ये काम, शिशु पर पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव
सनातन धर्म में पितृ पक्ष को बेहद ही महत्वपूर्ण अवधि माना जाता है. क्योंकि इस दौरान हमारे पितर पृथ्वी पर वास करते हैं.
पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण और श्राद्ध किया जाता है. पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए गरीबों, जानवर और पक्षियों को भोजन भी कराया जाता है.
इस साल 7 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत हो रही है. वहीं, इसका समापन 21 सितंबर 2025 को होगा.
शास्त्रों के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान गर्भवती स्त्रियों को सावधानी बरतनी चाहिए. वरना शिशु पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. आइए जानते हैं...
पितृपक्ष में गर्भवती महिलाएं तामसिक भोजन (मांसाहार, लहसुन-प्याज और अधिक तला भुना) का सेवन न करें. इस दौरान सात्विक भोजन करें.
पितृपक्ष में गर्भवती महिलाओं को श्राद्ध में पितरों के लिए बनाए गए भोजन को छूने और खाने से बचना चाहिए.
इस दौरान पिंड दान वाले स्थानों पर भी नहीं जाना चाहिए.
इस साल पितृ पक्ष के पहले और अंतिम दिन ग्रहण भी लगेगा. जिससे गर्भवती महिलाओं को बहुत संभलकर रहने की आवश्यकता है.
ग्रहण के समय घर से बाहर न निकलें, पेट पर गेरु लगाएं और नुकीली चीजों का इस्तेमाल करने से बचें.