सीपी राधाकृष्णन ने ली उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ, जानिए क्या है प्रक्रिया
उपराष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित सीपी राधाकृष्णन ने शुक्रवार को भारत के 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली.
तत्कालीन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों से अचानक इस्तीफा देने के कारण नियमों के तहत यह चुनाव जरूरी था.
ऐसा इसलिए कि अगले उपराष्ट्रपति का निर्वाचन निवर्तमान उपराष्ट्रपति की पदावधि की समाप्ति के 60 दिनों के भीतर किया जाना होता है. भारत का निर्वाचन आयोग उपराष्ट्रपति के पद के लिए निर्वाचन कराता है.
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324(1) के अंतर्गत निर्वाचन आयोग को राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के पदों के लिए होने वाले चुनावों के संचालन के लिए अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण का अधिकार मिला हुआ है.
राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम 1952 और उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों में इसको लेकर विस्तृत प्रावधान किए गए हैं. अहम यह है कि देश में उपराष्ट्रपति सीधे जनता की तरफ से नहीं चुने जाते हैं.
यह चुनाव एक निर्वाचक मंडल की तरफ से किया जाता है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत दोनों) शामिल होते हैं.
इसमें राज्य विधानसभाओं के सदस्य शामिल नहीं होते. यह भी आनुपातिक प्रतिनिधित्व और एकल संक्रमणीय मत की विधि से होता है, और मतदान गुप्त रहता है.
चुनाव कार्यक्रम इस तरह निर्धारित किया जाता है कि निर्वाचित उपराष्ट्रपति निवर्तमान उपराष्ट्रपति के कार्यकाल की समाप्ति के अगले दिन पदभार ग्रहण कर सकें.
उपराष्ट्रपति अपने पदभार ग्रहण करने की तारीख से 5 साल की अवधि के लिए पद धारण करते हैं. हालांकि, अपने कार्यकाल की समाप्ति के बावजूद वे तब तक पद पर बने रहेंगे, जब तक कि उनका उत्तराधिकारी पद ग्रहण न कर
उपराष्ट्रपति की मृत्यु, पद से हटाए जाने या त्यागपत्र देने की स्थिति में संविधान में नए चुनाव के अलावा उत्तराधिकार का कोई अन्य तरीका नहीं है. हालांकि, ऐसी स्थिति में उपसभापति राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य कर सकते हैं.