व्रत के बाद जितिया के धागे का क्या करें, यहां जान लें नियम
हर साल अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है. इसे जितिया के नाम से भी जानते हैं.
धार्मिक मान्यतानुसार इस दिन महिलाएं संतान की दीर्घायु के लिए और उसके सुखी जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं.
जितिया व्रत में गंधर्व राजा जीमूतवाहन की पूजा की जाती है. इस साल 14 सितंबर को जितिया व्रत रखा जाएगा.
संतान की दीर्घायु के लिए महिलाएं जितिया धागा धारण करती है. लेकिन इस धागे को लेकर खास नियम हैं. आइए जानते हैं...
जितिया व्रत में पूजा के समय धागा बांधने की परंपरा है. धागा रेशमी या सूती हो सकता है, जिसमें कुछ गांठें बनी होती हैं.
व्रत के दौरान महिलाएं इस धागे को हाथ या गले में पहनती हैं. धागा उतारने के कुछ नियम हैं. जितिया व्रत का पारण करने के बाद ही धागा उतारना चाहिए.
पारण से पहले इसे भूलकर भी न उतारें, वरना व्रत भंग हो जाएगा. पारण के बाद धागे को उतारें और मन में संतान की लंबी आयु की कामना करें.
जितिया धागे को किसी पवित्र नदी या तालाब में विसर्जित करें. इसके साथ ही भगवान सूर्य और मां जीवित्पुत्रिका से संतान की सुरक्षा की कामना करें.
अगर आसपास नदी नहीं है तो, धागे को पीपल के पेड़ के नीचे रख दें. इसे लंबे समय तक घर में न छोड़ें. पारण करते ही इसे विसर्जित कर दें.