इन 3 भोग के बिना अधूरा है जितिया व्रत, प्रसाद में जरूर करें शामिल
हर साल अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है. इसे जितिया के नाम से भी जानते हैं.
धार्मिक मान्यतानुसार इस दिन महिलाएं संतान की दीर्घायु के लिए और उसके सुखी जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं.
जितिया व्रत में गंधर्व राजा जीमूतवाहन की पूजा की जाती है.
इस साल जितिया का व्रत 14 सितंबर को रखा जाएगा.
जितिया व्रत में पूजा के साथ-साथ प्रसाद का भी काफी महत्व है. कुछ भोग ऐसे हैं, जिनके बिना जितिया व्रत अधूरा माना जाता है.
इन भोग को प्रसाद में शामिल करने से व्रत का फल और बढ़ जाता है. आइए जानते हैं इन भोग के बारे में...
जितिया व्रत का सबसे महत्वपूर्ण और पारंपरिक प्रसाद ठेकुआ है. ये भगवान जीमूतवाहन को विशेष रूप से प्रिय है. प्रसाद में इसे शामिल करने से व्रत पूर्ण होता है.
हर शुभ कार्य में पूड़ी और खीर का भोग शामिल किया जाता है. जितिया व्रत के प्रसाद में पूड़ी और खीर का भोग लगाने से जीमूतवाहन खुश होते हैं.
फलों का प्रसाद भी जितिया व्रत में शुभ माना जाता है. आप फल के साथ-साथ मिठाई का भी भोग लगा सकते हैं. इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है.