आखिर एकांत जगह पर ही क्यों मरते हैं बंदर? रहस्य जान उड़ जाएंगे होश
सनातन धर्म में बंदरों को बजरंगबली का रूप माना जाता है. इंसानों के बाद बंदरों का सबसे ज्यादा बौद्धिक विकास हुआ है.
बंदरों से जुड़ी कई ऐसी धार्मिक कथाएं हैं, जो रहस्यों से भरी हुई हैं. इन्हीं रहस्यों में से एक रहस्य ये है कि बंदर एकांत में अपना देह त्याग करते हैं.
ऐसे में आइए जानते हैं कि इसके पीछे की धार्मिक और वैज्ञानिक मान्यताएं क्या हैं...
मान्यताओं के अनुसार, रामायण काल में बंदरों ने भगवान राम से ये वरदान मांगा था कि, उन्हें कोई भी मरते हुए न देख सके.
इसके अलावा उन्हें एक हफ्ते पहले अपनी मृत्यु का आभास हो जाए. जिससे बंदर अपना देह त्यागने के लिए कोई सुरक्षित जगह खोज पाएं.
कहा जाता है, कि बंदरों को जब अपनी मृ्त्यु का आभास हो जाता है, तो वो जंगल में दीमक नासूर के सामने लेट जाते हैं और अपना शरीर दीमक को खाने देते हैं.
वहीं, अगर किसी बंदर की मृत्यु हादसे में हो जाती है, तो सभी बंदर उसे दीमक के हवाले कर देते हैं.
हालांकि, इस रहस्य के पीछे कोई शास्त्रीय प्रमाण नहीं है. ये बातें लोक कथाओं के रूप में ही प्रचलित हैं.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो, ज्यादातर जंगली जानवर अपनी मौत से पहले एकांत स्थान खोजते हैं, क्योंकि इससे झुंड के अन्य जानवरों पर भी शिकार का खतरा मंडराता है.
ऐसे में लोगों को लगता है कि बंदर सबके सामने देह नहीं त्यागते हैं और वो इसे लोककथाओं से जोड़ने लगते हैं.