इस विधि से करें मां तुलसी और शालीग्राम की पूजा, यहां जानिए
सनातन धर्म में देवउठनी एकादशी यानी तुलसी विवाह का विशेष महत्व होता है.
मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के योग निद्रा से जागते ही सभी प्रकार के मांगलिक कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं.
इस दिन कन्या के विवाह की तरह ही तुलसी और शालीग्राम का विवाह कराया जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं तुलसी विवाह करने की विधि...
तुलसी विवाह के दिन सुबह स्नानादि करने के बाद साफ कपड़े पहन लें. फिर तुलसी पौधे के गमले की साफ-सफाई करें.
गमले को गेरू से सजाएं और चौकी पर रखें. वहीं, एक दूसरी चौकी पर शालीग्राम की स्थापना करें.
अब गन्ने, केले के पत्ते और फूल से मंडप तैयार करें. कलश में जल भरकर उसके ऊपर पांच आम के पत्ते लगाएं. घी का दीप जलाएं.
तुलसी माता को साड़ी और लाल चुनरी पहनाएं, सुहाग का सामान अर्पित करें, सिंदूर लगाएं और अच्छे से श्रृंगार करें.
फिर शालीग्राम भगवान को हाथ में लेकर तुलसी के साथ 7 बार परिक्रमा कराएं. इस विधि को 7 फेरों के रूप में किया जाता है.
आखिर में आरती करें. इस विधि से मां तुलसी और भगवान शालीग्राम का विवाह कराया जाता है.