दूल्हे के सिर पर क्यों बांधा जाता है सेहरा, रहस्य जान उड़ जाएंगे होश

हर धर्म में शादी-विवाह के दौरान अलग-अलग तरह की रस्में निभाई जाती हैं. इन्हीं में से एक दूल्हे के सिर पर सेहरा बांधने की परंपरा है. 

लेकिन दूल्हे के सिर पर सेहरा बांधना एक फैशन नहीं, बल्कि इसके पीछे धार्मिक मान्यताएं भी हैं. आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह...

भारतीय परिवेश में सेहरा का खास महत्व है. भारत में सेहरा बांधने की परंपरा सदियों पुरानी है. 

शादी के दिन हिंदू और मुस्लिम धर्म में दूल्हा बारात निकालने से पहले तैयार होता है और इसमें सेहरा बांधता है.

सेहरा के लिए फूल, मोती, कुंदन, चमकीली व रेशमी धागे या कई बार तो सोने-चांदी की कलाकारी के साथ बनाया जाता है. 

पगड़ी से दूल्हे का सिर तो वहीं सेहरे से दूल्हे का चेहरा ढका होता है. मान्यता ये है कि, दूल्हा और दुल्हन का चेहरा शादी की मुख्य रस्मों तक छिपा रहना चाहिए, 

जिससे कि उन पर किसी तरह की नकारात्मक ऊर्जा या बुरी दृष्टि न पड़े. इसलिए भी दुल्हन घूंघट से अपना चेहरा ढंकती हैं और दूल्हे को सेहरा बांधा जाता है.

शास्त्रों में सेहरा को पंचदेव से सुशोभित नर का श्रृंगार बताया गया है. सेहरा पहनाने की रस्म का मुख्य कारण है दूल्हे का सिर सुशोभित रहे और शुभ कार्य में सफलता प्राप्त हो. 

सेहरा बांधने की रस्म दूल्हे के लिए आशीर्वाद और शुभकामनाओं का प्रतीक होता है.