परमाणु हमले के बाद भी नहीं मरता ये जीव, द्वितीय विश्व युद्ध में मिला सबूत

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए परमाणु बम हमलों का असर आज भी वहां के लोगों में दिखता है.

परमाणु हमलें के बाद वहां के हवा में फैलते रेडिएशन ने जहां इंसानों से लेकर जानवरों तक हर चीज को मिट्टी में मिला दिया.

इस भयावह तबाही के बाद जब वैज्ञानिकों ने क्षेत्र का सर्वे किया, तो एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया.

दरअसल, सर्वे के दौरान बड़ी संख्या में कॉकरोच जिंदा पाए गए थे. यह बात दुनिया के लिए किसी सदमे से कम नहीं थी.

ऐसे में सवाल ये है कि जब उच्च स्तर का रेडिएशन इंसानों का तुरंत अंत कर सकता है, तो कॉकरोच कैसे जीवित रह गए?

बता दें कि इंसानों की तुलना में कॉकरोच का शरीर रेडिएशन को काफी हद तक सहन कर सकता है.

इंसान 800 रैड तक की रेडिएशन मात्रा में ही मर सकते हैं, वहीं कॉकरोच 10,000 रैड तक झेलने की क्षमता रखते हैं.

दरअसल, किसी भी जीव की कोशिका जितनी जल्‍दी विभाजित होगी उतना ही रेडिएशन का असर घातक होगा.

ऐसे में यह प्रक्रिया इंसानों के अपेक्षा कॉकरोच के शरीर में काफी धीमी होती है, जिससे इनके जीवीत रहने के संभावना बढ़ जाते है.