राजपूतों की ढाल, मुगलों के लिए काल, 250 करोड़ वर्ष पुराना है ‘अरावली’ का इतिहास
भारत के इतिहास से पहले से 'अरावली पर्वतमाला' का स्वर्णिम इतिहास रहा है, यह करोड़ो साल पुरानी पर्वत श्रृंखला है.
'अरावली' पर्वत श्रृंखला तब बनी थी जब आज के भारत का नामोनिशान नहीं था, बल्कि महाद्वीप आपस में जुड़ रहे थे और जीवन की शुरुआत हो रही थी.
बता दें कि अरावली के दुर्गम पहाड़ों ने महाराणा प्रताप जैसे योद्धाओं को मुगलों के खिलाफ छापामार युद्ध के लिए सुरक्षित स्थान दिया.
कुंभलगढ़ और चित्तौड़गढ़ जैसे प्रसिद्ध किले भी इसी श्रृंखला का हिस्सा हैं, लेकिन आज अरावली की पहाड़ियां आज अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रही हैं.
इस समय इन पहाड़ियों की ऊंचाई कम करने की बातें हो रही हैं, जिसे दुनिया से छोटी ऊंचाई वाले जीवों को खत्म करने की बात कहने जैसा हैं.
250 करोड़ साल पुरानी अरावली पर्वत श्रृंखला सिर्फ एक भौगोलिक अजूबा नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है.
वैज्ञानिकों के अनुसार, अरावली का निर्माण प्रोटेरोजोइक युग में हुआ था, जो लगभग 250 से 350 करोड़ साल पहले शुरू हुआ था.
यह श्रृंखला भारत की जलवायु-पर्यावरण को प्रभावित करने के साथ ही थार रेगिस्तान को फैलने से रोकती है.
670 किमी लंबी अरावली पर्वत श्रृंखला दक्षिण-पश्चिम दिशा में गुजरात के पालनपुर से शुरू होकर दिल्ली तक फैली हुई है, जिसकी औसत ऊंचाई 300-900 मीटर के बीच है.
इसकी सबसे ऊंची चोटी गुरु शिखर है, जो 1,722 मीटर ऊंची है और राजस्थान के इकलौते हिल स्टेशन माउंट आबू में स्थित है.