अहंकार से नहीं, विनम्रता से होता है ईश्वर से मिलन: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Must Read
Shivam
Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, ।।उठहु राम भंजहू भव चापा।। धनुष टूटना क्या है? अभिमान का टूटना ही धनुष का टूटना है। धनुष माने अभिमान, अहंकार। यह धनुष किसका है? भगवान शंकर का और भगवान शंकर अहंकार के देवता हैं और वह धनुष दे दिया उन्होंने महाराज जनक को। अच्छा जब भगवान शंकर ने श्रीजनकजी को धनुष दिया तो बाण साथ में क्यों नहीं दिया? यह भी तो एक प्रश्न है कि नहीं? जब धनुष दिया तो वाण भी देना था। तो बोले, “नहीं।
अहंकार के ऊपर से मन रुपी वाण चलाओगे तो अनर्थ हो जायेगा। तो केवल धनुष इसलिए दिया – यह चलाने के लिए नहीं यह तो तोड़ने के लिए है।अगर अभिमान टूट जायेगा तो भक्त और भगवान का मिलन हो जायेगा। अभिमान को तोड़ना है, चलाना नहीं है। अभिमान को चलाओगे तो खतरनाक हो जायेगा। इसीलिए देखिए आप अंधकार में और अंधकार ले जाओगे तो अंधकार और गहरा हो जायेगा। अंधकार प्रकाश से नष्ट होता है। तो धनुष टूटना माने अभिमान का टूटना है। जैसे ही प्रण सुनाया तो राजे महराजे अभिमान ले करके कमर फेंटा कस के दौड पड़े। अभिमान से अभिमान नष्ट नहीं होगा। अंधकार से अंधकार नष्ट नहीं होगा। इसलिए लिखा गया है –  कि छूट न अधिकु अधिकु गरुआई “।
बड़े-बड़े राजे-महाराजे जब उठाने लगे तो उसमें वजन बढ़ता चला गया। क्योंकि वह अभिमान का प्रतीक ही है। और लोग भी अभिमान लेकर जा रहे हैं। ये तो निराभिमानी श्रीराम जब आयें तब टूटेगा। टूटा और फिर श्री सीताराम जी का विवाह हुआ। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।
Latest News

03 November 2025 Ka Panchang: सोमवार का पंचांग, जानिए शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय

03 November 2025 Ka Panchang: हिंदू धर्म में किसी भी कार्य को करने से पहले शुभ और अशुभ मुहूर्त...

More Articles Like This