इन मशहूर नारों ने बदली बिहार की सियासत, यहां पढ़िए
राजनीति गलियारों में सिर्फ एक ही बात चर्चा में है कि अब कौन पटना की गद्दी पर कब्जा करेगा.
चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान कर दिया है. नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, चिराग पासवान और प्रशांत किशोर जैसे मशहूर चेहरे मैदान में उतरने वाले हैं.
जगह-जगह पर अब पोस्टर लगने शुरू हो गए हैं और हवा में नारों की गूंज है.
ऐसे में आज हम आपको उन नारों के बारे में बताएंगे, जिसने बिहार की राजनीति बदल दी.
कांग्रेस ने 1952 के पहले विधानसभा चुनाव में नारा दिया, “खरो रुपयो चांदी को, राज महात्मा गांधी को.”
1962 में “नेहरू राज की एक पहचान और नंगा-भूखा हिंदुस्तान” या “मांग रहा है हिंदुस्तान, रोटी, कपड़ा और मकान.”
1980 के दशक में कवि श्रीकांत वर्मा ने इंदिरा गांधी के लिए लिखा, “जात पर न पात पर, मुहर लगेगी हाथ पर.”
1990 के दशक में “जब तक रहेगा समोसे में आलू, तब तक रहेगा बिहार में लालू.” नारा खूब मशहूर हुआ.
रामविलास पासवान ने भी अपने राजनीतिक करियर में कई यादगार नारे दिए जैसे- “धरती गूंजे आसमान, रामविलास पासवान.”