छठ पूजा में क्यों देते हैं ढलते सूर्य को अर्घ्य, जानिए वजह
हिंदू धर्म में कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाए जाने वाले महापर्व छठ का खास महत्व है. इस पर्व में माता षष्ठी और सूर्य देव की अराधना की जाती है.
हमारे धर्म में उगते हुए सूर्य देव को अर्घ देने का रिवाज है, लेकिन छठ पूजा की खास बात ये है कि ढलते सूर्य को अर्घ्य देकर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है.
आइए जानते हैं कि ढलते सूर्य को अर्घ्य देने का धार्मिक महत्व क्या है…
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जो भी व्यक्ति सुबह का अर्घ्य और संध्या अर्घ्य सूर्य देव को देता है, वो हर समस्या और शारीरिक कष्ट से मुक्त हो जाता है.
मान्यता है कि सूर्य देव जीवन की सभी बाधाओं को दूर करते हैं. सुबह, दोपहर और शाम में भगवान सूर्य प्रभावी होते हैं.
ऐसे में जो लोग सूर्य देव की आराधना सुबह मे करते हैं वो सेहतमंद रहते हैं. जो लोग सूर्य देव की आराधना दोपहर के वक्त करते हैं उनका समाज में मान-सम्मान बढ़ता है.
वहीं, जो लोग सूर्य देव की आराधना शाम में करते हैं उनके घर में कभी भी धन की कमी नहीं होती है.
छठ पूजा एक ऐसा त्योहार है जिसमें ढलते सूर्य की भी पूजा की जाती है. मान्यताओं के अनुसार, शाम के समय में भगवान सूर्य अपनी दूसरी अर्धांगनी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं.
अगर कोई जातक उस वक्त उनकी पूजा करके अर्घ्य देता है तो उसकी मनोकामना तुरंत ही पूर्ण हो जाती है. इसलिए छठ पूजा में ढलते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.
शाम के वक्त सूर्य को अर्घ्य देने मनुष्य के जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं और सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है.