आखिर दिवाली पर क्यों जलाए जाते हैं मिट्टी के ही दिये? जानिए वजह
सनातन धर्म में दिवाली का विशेष महत्व होता है. इस दिन सुख-समृद्धि के लिए मां लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की विशेष पूजा करने का विधान है.
दिवाली के दिन लोग अपने घर को रंगोली और दिये से सजाकर खुशियां मनाते हैं.
लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि, दिवाली के पर्व पर मिट्टी के ही दिये क्यों जलाए जाते हैं. आइए जानते हैं इसके पीछे की असल वजह…
दिवाली के शुभ अवसर पर मिट्टी के दिए जलाने के पीछे कई मुख्य कारण हैं. शास्त्रों के अनुसार, मिट्टी और भूमि का कारक मंगल ग्रह को माना जाता है.
वहीं, सरसों तेल शनि ग्रह का प्रतिक है. मिट्टी के दिये में सरसो के तेल की बत्ती जलाने से शनि और मंगल ग्रह मजबूत होते हैं.
इन ग्रहों की कृपा से व्यक्ति के जीवन में कभी भी धन-दौलत की कमी नहीं होती है और दांपत्य जीवन खुशहाल होता है.
दिवाली के दिन मिट्टी का दीया जलाने से घर के माहौल में सकारात्मक्ता का वास होता है. इससे शारीरिक और मानसिक तनाव भी दूर होता है.
जिस तरह हमारा शरीर पंचतत्वों से बना होता है, ठीक उसी तरह दीया भी पंचतत्वों का प्रतिनिधित्व करता है.
मिट्टी के दिये में जल, अग्नि, भूमि, आकाश और वायु सम्मिलित हैं. जैसे- दीया पानी और मिट्टी के सहयोग से बनता है.
उसे जलाने के लिए अग्नि की जरूरत होती है. वहीं, वायु के बिना आग जल नहीं सकता है. इसी वजह से दिवाली पर मिट्टी के दीप प्रज्जवलित किए जाते हैं.