दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए 27 साल बाद सत्ता में वापसी की है.
इसी बीच, राष्ट्रपति शासन को लेकर भी चर्चा हो रही है. ऐसे में आइए जानते हैं कि किन परिस्थितियों में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है और अब तक दिल्ली में कितनी बार यह स्थिति बनी है.
राष्ट्रपति शासन तब लागू होता है जब राज्य सरकार संविधान के मुताबिक काम नहीं करती है और राष्ट्रपति इन रिपोर्ट्स से संतुष्ट होता है, तो तब राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है.
हालांकि राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के दो महीने के भीतर संसद के दोनों सदनों द्वारा इसका अनुमोदन करना भी जरूरी है.
राष्ट्रपति शासन को यदि संसद द्वारा अनुमोदित कर दिया जाता है, तो यह छह-छह माह तक चलता है. हालांकि अगले तीन सालों के लिए छह-छह माह की अवधि में बढ़ाया जा सकता है.
फरवरी 2014 में, आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार गिरने के बाद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ था.
वहीं राजनीति में आने के बाद अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में जब आम आदमी पार्टी ने दिसंबर 2013 में विधानसभा का चुनाव लड़ा था, तो पार्टी सिर्फ 28 सीट ही जीती थी.
सरकार बनाने के लिए 36 विधायकों का समर्थन आवश्यक था, जिसे कांग्रेस ने समर्थन देकर पूरा किया. यह सरकार मात्र 49 दिनों तक ही चली.
भाजपा ने केजरीवाल सरकार से जन लोकपाल बिल लाने की मांग की, लेकिन कांग्रेस ने समर्थन नहीं दिया. इस असमंजस में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया.
उस वक्त तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उनका इस्तीफा स्वीकार करते हुए दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया. यह राष्ट्रपति शासन 363 दिनों तक चला और 13 फरवरी 2015 को समाप्त हुआ.