बिहार कैसे बना मखानों का गढ़, कितने देशों को एक्सपोर्ट करता है भारत?
मखाना की खेती की परंपरा बिहार में सदियों पुरानी है. इसे आमतौर पर तालाबों और स्थिर जलाशयों में किया जाता है.
मखाने को निकालना बेहद कठिन कार्य माना जाता है,क्योंकि किसान पानी में उतरकर गाद से भरे बीजों को इकट्ठा करते हैं.
ऐसे में चलिए जानते है कि कैसे बिहार मखानों का गढ़ बना, और भारत से कितने देश मखाना खरीदते हैं...
मिथिला-कोसी क्षेत्र में तालाबों और स्थिर जलाशों की भरमार है, जो मखाने की फसल के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं.
यहां के किसान पीढ़ियों से मखाना उत्पादन की तकनीक और परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं.
इस इलाके की मानसूनी बारिश और स्थिर जलाशय मखाना उत्पादन के लिए सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं.
2022 में मिथिला मखाने को GI Tag मिला, जिससे इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट पहचान और भी मजबूत हो गई.
बिहार के उत्तर और पूर्वी हिस्से मखाना उत्पादन के सबसे बड़े केंद्र हैं. खासतौर पर मिथिला क्षेत्र, जिसे “मखाना बेल्ट” भी कहा जाता है.
बिहार के दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, सुपौल, अररिया, कटिहार, पूर्णिया, सहरसा, मधेपुरा, किशनगंज जिलें मखाने की खेती के लिए प्रसिद्ध हैं.
बिहार से मखाने का निर्यात मुख्य रूप से अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, चीन, सिंगापुर, दुबई और कनाडा जैसे देशों में होता है.