क्यों पवित्र माना जाता है गंगा नदी का पानी, क्या है गंगाजल को घर में रखने का नियम?
सनातन परंपरा में मां गंगा और उनके पवित्र जल का अत्यंत महत्व माना गया है.
गंगा जल की अहमियत का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि जन्म से लेकर मृत्यु तक हर कर्म में इसका प्रयोग होता है.
ऐसे में चलिए जानते हैं कि हिंदू धर्म में गंगाजल को आखिर क्यों इतना पवित्र माना जाता है और घर में इसके रखने का नियम क्या है.
मान्यता के अनुसार गंगा का उद्भव भगवान श्री विष्णु के चरणों से हुआ है, इसलिए इसे चरणामृत कहा जाता है.
धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि गंगा जल का दर्शन, स्पर्श और सेवन व्यक्ति को पापों से मुक्ति दिलाता है.
धर्म ग्रंथों के मुताबिक, गंगा नदी का पानी संग्रहित करके रखने पर भी कभी खराब नहीं होता है.
साइंटिफिक तौर पर यह सिद्ध हो चुका है कि गंगा नदी के पानी में वातावरण से ऑक्सीजन सोखने की अद्भुत क्षमता पायी जाती है.
गंगाजल को तांबे या पीतल के पात्र में घर के उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण में रखना चाहिए.
इसके अलावा, गंगाजल को अंधेरे या गंदे स्थान पर नहीं रखना चाहिए और न ही इसे अपवित्र हाथों से स्पर्श करना चाहिए.