प्राचीन काल में क्या थें बाल धोने के नियम, जानें सेहत, ऊर्जा से इसका गहरा संबंध
प्राचीन काल में बालों धोना कभी भी जल्दबाजी में किया जाने वाला स्वच्छता कार्य नहीं था.
यह एक अच्छे से किया जाने वाले काम था जो सेहत, ऊर्जा और ब्रह्मांडीय व्यवस्था से जुड़ी थी.
बालों को नर्वस सिस्टम से जुड़ी जीवन शक्ति का वाहक माना जाता था.
मान्यता है कि, गलत समय पर, बीमारी के बाद, चंद्र चरण के दौरान या बिना आराम किए बाल धोने से शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
बाल धोने से जुड़े ये नियम केवल अंधविश्वास नहीं थे, बल्कि तापमान नियंत्रण, सेहत से जुड़े लाभ और मन-शरीर के बीच तालमेल बनाते है.
बाल धोने के लिए सुबह का समय बेहद सुरक्षित माना जाता था शाम या रात के समय बाल धोने से परहेज किया जाता था.
प्राचीन समय में बालों को धोने के लिए चक्रों का पालन किया जाता था. चंद्र कलाएं, ऋतुएं और कृषि कैलेंडर.
बालों को धोना या न धोना जीवन में बदलाव के संकेत की ओर इशारा करता था, जिसका विधवाएं, तपस्वी या शोक संतप्त लोग सख्ती से पालन करते थे.
बालों से जुड़े ये नियम व्यक्तियों को बीमारियों से बचाने के साथ शरीर में गर्मी बनाए रखने और सामाजिक स्थिरता को मजबूत करने का काम करते थे.