यहां लोग जलती चिताओं के बीच खेलते हैं होली, तस्वीरें देख हो जाएंगे हैरान
हिंदूओं के प्रमुख त्योहारों में से एक होली के त्योहार का इंतजार अब कुछ ही दिनों में खत्म होने वाला है. वहीं, महादेव की नगरी काशी में 11 मार्च को होली मनाई जाएगी.
जहां देश में तमाम रंगों के साथ होली खेली जाती है. वहीं, काशी में चिता की भस्म से होली खेलने की परंपरा है. दुनियाभर के लोग वाराणसी की मसान की होली देखने के लिए आते हैं.
माना जाता है कि काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर बाबा विश्वनाथ ने अपने गणों के साथ होली खेली थी. अघोरी, तांत्रिक और साधु संत जलती चिताओं के बीच एक दूसरे को राख लगाते हैं.
ये भी माना जाता है कि बाबा विश्वनाथ अदृश्य रूप में इस अद्भुत होली को खेलने के लिए शामिल होते हैं.
होली खेलने से पहले बाबा मसान नाथ का श्रंगार, पूजन और आरती की जाती है. इन सबके बाद भस्म और गुलाल से होली खेली जाती है.
बाबा विश्वनाथ के भक्त चिता भस्म की होली पर जमकर झूमते हैं. मणिकर्णिका घाट पर हर हर महादेव के जयघोष लगाए जाते हैं.
माना जाता है कि भगवान शिव मोक्ष की नगरी काशी में स्वयं तारक मंत्र देते हैं. काशी में मसाने की होली अनूठी मानी जाती है.
ये होली इस बात का भी संदेश देती है कि शिव ही अंतिम सत्य हैं.