भारत में किसने शुरू किया था सिक्कों का चलन, जानें व्यापार में क्या रही इसकी भूमिका
भारत में सिक्कों का इतिहास जितना लोग समझते हैं उससे काफी ज्यादा पुराना है.
आधुनिक मुद्राओं के उलट जो किसी एक कानून से शुरू होती हैं भारत में सिक्कों का विकास धीरे-धीरे हुआ.
पुरातात्विक सबूत बताते हैं कि भारत उन शुरुआती सभ्यताओं में से था जिसने वस्तु विनियम प्रणाली को छोड़कर धातु के पैसों को अपनाया.
दरअसल भारत में सबसे पहले ज्ञात सिक्के लगभग छठी शताब्दी ईसा पूर्व में महाजनपद काल के दौरान दिखाई दिए.
इन सिक्कों को किसी एक सम्राट ने नहीं बनाया था बल्कि उत्तरी भारत में मौजूद कई राज्यों और गणराज्यों ने शुरू किया था.
इन शुरुआती सिक्कों को आहत सिक्के के नाम से जाना जाता है और यह आमतौर पर चांदी के बने होते थे.
इन सिक्कों पर नाम, चित्र या शिलालेख नहीं होते थे. इसके बजाय इन पर सूरज, जानवर, पेड़ या पहाड़ बने होते थे.
एक बार जब शासकों को सिक्कों की शक्ति का एहसास हुआ तो भारतीय राजवंशों ने जल्द ही इस प्रथा को अपना लिया.
कुछ वक्त बाद कुषाणों और गुप्तों द्वारा जारी किए गए सिक्कों पर देवताओं की तस्वीरें, शाही उपाधियां और पवित्र प्रतीक दिखाई दिए.
सिक्कों की शुरुआत ने भारतीय समाज को मौलिक रूप से बदल दिया. बाजार बढ़ने लगे, भारत वैश्विक व्यापार रास्तों से गहराई से जुड़ गया.