Fake Medicines: ऐसे बचाएं अपनों की जान, नकली दवाओं की ऐसे करें पहचान

पब्लिक हेल्थ पर नकली दवाओं का बाजार खतरा बना हुआ है. साल 2023 के वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन  के अनुसार, लो और मिडिल इनकम वाले देशों में 10 में से एक मेडिकल प्रोडक्ट घटिया या नकली है.

इससे लाखों लोगों को जान का जोखिम है. दुनिया भर में जेनेरिक दवाओं के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक, भारतीय बाजार भी इस समस्या से जूझ रहा है. 

ऐसे पहचानें फेक मेडिसिन जेनेरिक हों या ब्रांडेड, असली दवाएं आमतौर पर डिटेल्ड जानकारी के साथ प्रीमियम पैकेजिंग में पेश की जाती हैं.

नकली दवाओं में अक्सर धोखाधड़ी के साफ संकेत होते हैं, जैसे उनके लेबल पर टाइपिंग या स्पेलिंग की गलतियां. 

इसके अलावा, प्रामाणिक दवाओं में हमेशा बैच नंबर, मैन्युफैक्चरर का पता और मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट जैसी जरूरी जानकारी होती है. 

छेड़छाड़ किए गए सील और चेतावनी संकेत पर ध्यान देना चाहिए. दवा को वेरिफाई करने के लिए सुनिश्चित करें कि सील टूटा है या नहीं. 

नकली दवाओं को पहचानने के लिए दवाओं के दिखने के तरीके पर खास ध्यान दें. पिछली खरीद से रंग, आकार या बनावट में अंतर चेतावनी के संकेत हो सकते हैं. 

मिसाल के तौर पर, एक दवा जो रंग या स्थिरता में असामान्य रूप से अलग दिखाई देती है, वो असली नहीं हो सकती है. 

इसके अलावा, अगर किसी दवा का स्वाद या गंध सामान्य से अलग है, तो तुरंत अपने डॉक्टर या फार्मासिस्ट से कंफर्म कराना सबसे अच्छा है.

नकली दवाओं से बचने के लिए नामी वेंडर्स से दवाएं खरीदना जरूरी है. अनरिलायबल इंटरनेट साइट्स और स्ट्रीट सेलर से बचें और हमेशा अप्रूड व्यापारियों या लाइसेंस वाले फार्मेसीज को चुनें.

भारत में कम दाम पर मिलने वाली प्रीमियम जेनेरिक दवाएं एक विश्वसनीय विकल्प हैं, जिससे ग्राहकों की सुरक्षा और प्रामाणिकता सुनिश्चित होती है.

2024 की एक स्टडी में पाया गया है कि भारत की कुल बिक्री का तकरीबन 5% नकली जेनेरिक दवाओं का है. ये सुनिश्चित करने के लिए कि आप असली जेनेरिक दवाएं खरीद रहे हैं. आप भरोसेमंद कंपनियों को चुनें.