किसी राज्य का नाम बदलने की क्या होती है प्रक्रिया, कौन देता है अंतिम सहमति? यहां जानिए

2 जनवरी, गुरुवार को गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख: सातत्य और संबद्धता का ऐतिहासिक वृत्तांत नाम की किताब के विमोचन मौके पर कहा कि कश्मीर का नाम महर्षि कश्यप के नाम पर पड़ा है.

इसके बाद ये कयास लगाए जा रहे कि केंद्र सरकार कश्मीर का नाम बदल सकती है.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर किसी राज्य का नाम बदलने की प्रक्रिया क्या होती है और इसे अंतिम सहमति कौन देता है.  आइए हम आपको बताते हैं...

भारतीय संविधान के अनुसार, किसी भी राज्य का नाम बदलने का अधिकार देश की संसद के पास होता है.

भारत का संविधान अनुच्छेद 3 संसद को किसी भी राज्य का नाम बदलने की शक्ति देता है.

जब भी केंद्र सरकार को राज्य का नाम बदलना होता है, तब उन्हें संविधान के नियमों का पालन करना होता है.

किसी भी राज्य का नाम बदलने की प्रक्रिया विधानसभा या संसद से शुरू होती है. इसके बाद इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेजा जाता है.

अगर केंद्र सरकार मंजूरी देती है, तो केंद्र के निर्देश पर गृह मंत्रालय, इंटेलिजेंस ब्यूरो, भारतीय सर्वेक्षण, डाक विभाग और रजिस्ट्रार जनरल समेत कई एजेंसियों से एनओसी लेना अनिवार्य होता है.

इसके बाद सरकार को दोनों सदनों में बिल पास कराना होता है. वहीं, संसद में बिल पास होने के बाद ही अंतिम मुहर लगने के लिए इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है.

राष्ट्रपति की सहमति के बाद राज्य का नाम बदलने का नोटिफिकेशन जारी किया जा सकता है. वहीं, नाम बदलने के लिए उसके पीछे का ठोस कारण बताना होता है.