क्रिसमस डे पर सांता क्यों पहनते हैं लाल रंग के कपड़े? जानें दिलचस्‍प कहानी

हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस का त्‍योहर दुनियाभर में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इसके आते ही चारो तरफ जिंगल बेल जिंगल बेल की धुन बजने लगती है.

यह धुन एहसास कराती है कि क्रिसमस का त्‍योहार आ गया है. क्रिसमस के दिन क्रिसमस ट्री, केक और बच्‍चों को गिफ्ट देने वाले सांता का क्रेज रहता है.

सांता की पहचान उसके लाल रंग के पोशाक, मोटे से पेट, बड़े बाल, सफेद दाढ़ी और हाथ में बेल से होती है.

लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि सांता क्‍लॉज क्रिसमस डे पर लाल रंग के ही कपड़े क्‍यों पहनते हैं. आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी...

ईसाई संत निकोलस किसी भी गरीब को पैसे की तंगी के वजह से क्रिसमस मनाने से वंचित नहीं देख सकते थे. इसलिए वह गरीबों को खाने की चीजें और गिफ्ट बांटते थे. 

इस काम के दौरान वह लाल कपड़े पहनकर, चेहरे को दाढ़ी से ढककर निकलते थे. कहा जाता है कि तभी से सेंटा क्लाज का लाल पोशाक वाला रूप सामने आया.

क्रिसमस के दिन लाल रंग के कपड़ों को लेकर कई सारी किस्‍से हैं. कहा जाता है कि लाल रंग प्‍यार और खुशी का रंग है.

ईसाई धर्म में लाल रंग को जीसस क्राइस्ट के खून का प्रतीक माना जाता है. जो दूसरों के प्रति जीसस के बेपनाह प्‍यार को दर्शाता है.

प्रभु यीशु हर ईसाई को अपनी संतान मानते थे और उन्‍हें बहुत प्‍यार करते थे. यही कारण था कि वो लाल रंग के जरिए सभी को मानवता का पाठ पढ़ाना चाहते थे.

उनका मानना था कि लाल खुशी का रंग है. इसलिए जहां प्‍यार होगा वहां खुशी दौड़ी चली आएगी.