हुमायूं ही नहीं मकबरे में दफ्न हैं 150 कब्रें, फिर क्यों कहते हैं हुमायूं टॉम्ब

दिल्ली स्थित हुमायूं का मकबरा देश की ऐतिहासिक इमारतों में से एक है. दुनियाभर के लोग इसकी खूबसूरती के दीवाने हैं.

15 अगस्त 2025 की सुबह लोग इसी मकबरे को देखने पहुंचे थे, लेकिन उसी दौरान एक बड़ा हादसा हो गया.

मकबरे के पास बनी पत्ते शाह दरगाह के 2 कमरों की छत गिर गई, जिसमें 5 लोगों की मौत हो गई. वहीं, कई लोग घायल हुए हैं.

अब इस मकबरे की चर्चा चारो तरफ हो रही. ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल है कि इस मकबरे में हुमायूं के अलावा कई कब्रें दफ्न हैं. फिर इसे हुमायूं टॉम्ब क्यों कहा जाता है. आइए जानते हैं...

साल 1569-70 में हुमायूं का मकबरा बनकर तैयार हुआ था. इसे हुमायूं की पत्नी बेगा बेगम (हाजी बेगम) ने अपने पति की याद में बनवाया था.

ये मकबरा मुगल वास्तुकला का पहला बड़ा उदाहरण था, जिसे देखकर बाद में ताजमहल जैसी इमारतें बनाई गईं.

इस मकबरे में मुगल परिवार के लगभग 150 से ज्यादा सदस्यों की कब्रें मौजूद हैं. जिनमें हुमायूं की पत्नियां, बेटे, वंशज और मुगल शाही परिवार के अन्य सदस्य शामिल हैं. 

इसे सबसे पहले मुगल सम्राट हुमायूं की याद में बनवाया गया था. ये इमारत किसी भी भारतीय सम्राट के लिए बनी सबसे पहली ऐसी इमारत थी, जो इस पैमाने पर बनाई गई हो. 

बाद में जब मुगल शाही परिवार के दूसरे सदस्यों की मृत्यु हुई, तो उन्हें भी यहीं दफनाया गया. लेकिन ये सिर्फ हुमायूं के सम्मान में बनाया गया था, जिसके कारण इसे हुमायूं टॉम्ब कहते हैं.