क्या सच में TOUCH WOOD कहने से नहीं लगती नजर? जानिए रहस्य

हर सिक्के के दो पहलू होते हैं. जिस तरह दुनिया में सकारात्मकता वास करती है, उसी तरह नकारात्मकता भी वास करती है. 

बुरी नजर को ना सिर्फ भारत में बल्कि दुनियाभर में माना जाता है. लोग बुरी नजर से बचने के लिए कई तरह के उपाय और टोटके करते हैं. 

जिसमें से एक है ‘टच वुड’ (Touch Wood) कहना. अक्सर लोग अपनी कोई शुभ चीज बताते समय टच वुड कहते हैं. 

ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या सच में लकड़ी छूने से बुरी नज़र नहीं लगती? दरअसल, इसे लेकर कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. 

लेकिन परंपरा, मान्यता और ज्योतिष के अनुसार इसका गहरा संकेत होता है. दरअसल, लकड़ी में सकारात्मक ऊर्जा, स्थिरता और संरक्षण का भाव होता है.

माना जाता है कि जब लकड़ी को छूकर टच वूड कहा जाता है तो सकारात्मक ऊर्जा जागृत होती है, जिससे बुरी नजर लगने की आशंका कम हो जाती है. 

प्राचीन पैगन सभ्यता में ये माना जाता था कि पेड़-पौधों में बुरी आत्माओं और देवी-देवताओं का वास होता है. उनका मानना था कि, पेड़ों को छूने से वे दैवीय शक्ति से जुड़ रहे हैं और बुरी आत्माओं से अपनी खुशकिस्मती को बचा रहे हैं.

ईसाई लोग ईसा मसीह के क्रूस की लकड़ी को पवित्र मानते थे. लोग लकड़ी को छूकर या क्रॉस का स्पर्श करके ईश्वर का आशीर्वाद मांगते थे और दैवीय सुरक्षा की कामना करते थे.

लकड़ी का संबंध मुख्य रूप से बृहस्पति (गुरु) और चंद्र जैसे शुभ ग्रहों से माना गया है. बृहस्पति को संरक्षण, सकारात्मकता से जोड़ा जाता है.

वहीं चंद्र को भावनात्मक स्थिरता से. इसलिए लकड़ी को छूना शुभ ग्रहों की ऊर्जा को आमंत्रित करने और नकारात्मक ऊर्जा को कम करने वाला प्रतीकात्मक उपाय माना जाता है.