सावन माह में इस दिन कर लें ये उपाय, जल्द होगी संतान की प्राप्ति
सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी काफी महत्वपूर्ण है. इसे सावन पुत्रदा एकादशी भी कहा जाता है. इस व्रत का खास महत्व है. इससे संतान प्राप्ति के साथ ही संतान के शुभ का कारक माना जाता है.
माताएं इस व्रत को अपने बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य और सुखी जीवन की कामना से करती हैं. वहीं, जिन महिलाओं को संतान नहीं होती, वे संतान प्राप्ति की इच्छा से इस व्रत का पालन करती हैं.
मान्यता है कि ये व्रत बहुत फलदायी है. इससे सभी मनोकामना पूरी होती हैं. इस साल सावन पुत्रदा एकादशी व्रत 5 अगस्त 2025 को रखा जाएगा और इस दिन व्रत कथा सुनना या पढ़ना अत्यंत शुभ माना जाता है.
मान्यताओं के अनुसार प्राचीन समय में महिरूपति नामक नगरी में महीति नाम का एक राजा था. वह धर्मात्मा, शांत, ज्ञानी और दानी स्वभाव का था लेकिन उसे कोई संतान नहीं थी. इस कारण वो दुखी रहता था.
एक दिन उसने राज्य के सभी ऋषि-मुनियों, सन्यासियों और विद्वानों को बुलाया और संतान प्राप्ति का उपाय पूछा.
तब ऋषियों ने कहा कि हे राजन, पूर्व जन्म में सावन माह की एकादशी के दिन तुमने अपने तालाब से एक गाय को जल नहीं पीने दिया था.
इसलिए गाय ने तुम्हें संतान न होने का श्राप दिया था. यही वजह है कि तुम संतान सुख से वंचित हो. ऋषियों ने सुझाव दिया कि यदि राजा और उसकी पत्नी पुत्रदा एकादशी का व्रत रखें, तो वे इस श्राप से मुक्त हो सकते हैं.
राजा ने ये सुनकर अपनी पत्नी के साथ पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा. व्रत के प्रभाव से राजा श्राप से मुक्त हो गया और उसकी पत्नी गर्भवती हो गई. कुछ समय बाद उन्होंने एक तेजस्वी पुत्र को जन्म दिया.
राजा बहुत प्रसन्न हुआ और तब से हर पुत्रदा एकादशी का व्रत करने लगा. कहा जाता है कि जो व्यक्ति पूरे मन और श्रद्धा से यह व्रत करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं भगवान विष्णु पूरी करते हैं.