कहां से आया था डायनासोरों का विनाशक? नई खोज में मिले एस्टेरॉयड की तबाही के सुराग

लगभग 66 मिलियन साल पहले की बात है, जब भयानक विस्फोट ने पृथ्वी दहल उठी थी. इसने धरती पर जीवन को तहस-नहस कर दिया. धरती पर मौजूद जीव और जंगल नष्ट हो गए थे. 

ये भयानक धमाका एस्टेरॉयड के पृथ्वी से टकराने से हुआ. इस भयानक टक्कर से मेक्सिको के पास 145 किलोमीटर चौड़ा गड्डा हो गया था. आज इसे चिकशुलूब क्रेटर के नाम से जाना जाता है. 

नई रिसर्च में पाया गया कि डायनासोर समेत कई प्रजातियों का अंत करने वाली ये घटना बृहस्पति से परे मौजूद क्षुद्रग्रह से हुई टक्कर से हुई थी.

चिकशुलूब क्रेटर के बारे में अधिकतर वैज्ञानिक मानते थे कि यह गड्ढा जिस चट्टान से बना, वह हमारे सौरमंडल के भीतर से ही आई थी. लेकिन कहां से? साफ तौर पर इसका पता नहीं चल पा रहा था. 

अब क्रेटर के अवशेषों की जांच के बाद, वैज्ञानिकों ने पाया है कि रूथेनियम नामक एक दुर्लभ तत्व की रासायनिक संरचना मंगल और बृहस्पति की कक्षाओं के बीच मंडरा रहे एस्टेरॉयड्स के समान है. इस रिसर्च के नतीजे 15 अगस्त को 'साइंस' पत्रिका में छपे हैं.

जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोन में वैज्ञानिक मारियो फिशर ने बताया कि रूथेनियम, मेन एस्टेरॉयड बेल्ट में मिलने वाली चट्टानों का 'जेनेटिक फिंगरप्रिंट' है. पृथ्वी से 66 मिलियन साल पहले टकराने वाला एस्टेरॉयड यहीं पर पाया जाता था. 

यह एस्टेरॉयड शायद अन्य अंतरिक्ष चट्टानों से टकराव के चलते या फिर बाहरी सौरमंडल के प्रभाव के कारण पृथ्वी की ओर बढ़ा होगा. 

बृहस्पति जैसे गैसीय ग्रहों में अत्यधिक ज्वारीय बल मौजूद हैं, जो अन्यथा स्थिर एस्टेरॉयड्स की कक्षाओं को अस्त-व्यस्त करने में सक्षम हैं.

रूथेनियम बेहद दुर्लभ और स्थित तत्व है. वैज्ञानिकों के अनुसार, यह तत्व तारों की पिछली पीढ़ियों के भीतर बना था और जब उनकी विस्फोटक मौत हुई तो यह आसपास फैल गया. 

यह दुर्लभ तत्व आखिरकार हमारे सौर मंडल में मौजूद ग्रहों और एस्टेरॉयड्स में समा गया. पृथ्वी पर, यह ग्रह के भीतर बहुत गहराई में डूब गया था. चिकशुलूब क्रेटर, पृथ्वी पर सौरमंडल के बाहरी हिस्से में स्थित एस्टेरॉयड से बना एकमात्र ज्ञात इम्पैक्ट क्रेटर है.