उनके निधन पर नेहरू ने कहा, 'मोहम्मद अली जिन्ना एक असाधारण व्यक्तित्व थे. उनके विचारों और हमारे बीच गहरे मतभेद रहे, लेकिन उनकी प्रतिबद्धता और नेतृत्व को कोई नकार नहीं सकता. मेरे मन में जिन्ना के लिए कोई कड़वाहट नहीं है, बस जो कुछ हुआ उसके लिए गहरा दुख है'.