क्यों मांगकर खाया जाता है छठ पूजा का प्रसाद? जानिए इसके पीछे की मान्यता
लोक आस्था का महापर्व छठ की शुरुआत 25 अक्टूबर से हो गई है. ये पर्व बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड सहित कई अन्य राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है.
छठ महापर्व के दौरान 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है. चार दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में पहले दिन कद्दू भात प्रसाद के तौर पर बनाया जाता है.
दूसरे दिन खीर रोटी और बाकी दिन ठेकुआ, फल, सब्जियां आदि प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है.
इस महापर्व की खास बात यह है कि पूजा का प्रसाद लोग मांग कर खाते हैं. लेकिन लोगों को इसके बारे में पता नहीं होता है कि छठ का प्रसाद मांग कर क्यों खाया जाता है.
तो आज इस खबर में जानेंगे कि छठ का प्रसाद एक दूसरे से मांगकर खाये का क्या मान्यता है. आइए जानते हैं इसके बारे में…
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, छठ पूजा में कई तरह के पकवान, फल और मिठाई का प्रसाद के रूप में तैयार किया जाता है.
ऐसे में छठ पूजा के दौरान प्रसाद के रूप में सब्जी, फल और फूलों का विशेष महत्व होता है.
मान्यता है कि छठ पूजा के प्रसाद को एक दूसरे से मांगकर खाने से सूर्य देव और छठी मैया के प्रति आस्था प्रकट होती है. इसके अलावा छठी मैया और सूर्य देव का मान सम्मान बढ़ता है.
ज्योतिष शास्त्र की मानें तो जो जातक छठ पर्व का प्रसाद एक दूसरे से मांग कर खाते हैं उनके शरीर से दुर्गुण दूर हो जाते हैं. छठी मैया और सूर्य देव भक्तों पर प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा बरसाते हैं.
इसलिए किसी भी जातक को छठ प्रसाद को मांगने में संकोच नहीं करना चाहिए. साथ ही अगर कोई प्रसाद बांट रहा होता है तो उसे मना नहीं करना चाहिए.