चिता की राख पर क्यों लिखा जाता है 94, रहस्य जान उड़ जाएंगे होश

काशी नगरी स्थित मणिकर्णिका घाट जीवन और मृत्यु का संगम है. इस घाट को मोक्ष का द्वार माना जाता है. मणिकर्णिका घाट में दाह संस्कार को लेकर कुछ नियम बनाए गए हैं, जो लोगों के लिए रहस्य से भरे हुए हैं. 

मणिकर्णिका घाट पर दाह संस्कार के बाद चिता की राख पर 94 अंक लिखा जाता है. आइए जानते हैं इसके पीछे का रहस्य...

दरअसल, मणिकर्णिका घाट पर जब किसी मृतक का अंतिम संस्कार किया जाता है और जब उसकी चिता ठंडी हो जाती है.

तो मुखाग्नि देने वाला व्यक्ति किसी  लकड़ी या ऊंगली की सहायता से चिता की राख पर 94 अंक लिखता है. फिर राख को विसर्जित किया जाता है. 

मान्यताओं के अनुसार, मनुष्य के 100 कर्म होते हैं, जिनमें से 94 कर्म उसके अपने होते हैं. यानी वे कर्म जिन्हें वह अपने विचार, इच्छा और कर्म से नियंत्रित कर सकता है.

वहीं, बाकी 6 कर्म जैसे- जीवन, मृत्यु, यश-अपयश, लाभ-हानि मनुष्य के हाथ में नहीं बल्कि ईश्वर या नियति के अधीन मानी जाती है.

चिता की राख में 94 लिखने का मतलब ये है कि, चिता की अग्नि में मृतक के नियंत्रित 94 कर्मों को जलाकर भस्म कर दिया गया. 

इस परंपरा को मोक्ष की ओर एक प्रतिकात्मक यात्रा का संकेत माना जाता है. इसका अर्थ है कि, राख पर 94 लिखकर मृतक अब सांसारिक बंधनों से मुक्त हो गया. 

वहीं, अन्य 6 कर्म ईश्वर की इच्छा पर छोड़ दिए गए हैं. इसी भाव के साथ ही आज भी यह परंपरा निभाई जाती है.

हालांकि, काशी के मणिकर्णिका घाट पर चिता की राख में 94 अंक लिखने की यह स्थानीय परंपरा का प्रमाण हिंदू शास्त्र या ग्रंथ में नहीं मिलता है.