रक्षाबंधन पर भाई को नहीं जाना चाहिए बहन के घर, जानिए दिलचस्प वजह
सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाता है. ये पर्व भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक है. इस साल 9 अगस्त को रक्षाबंधन मनाया जा रहा है.
इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं, वहीं भाई उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं.
कई बार जब बहनें अपने मायके नहीं आती, तो भाई ही उनके घर चले जाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा नहीं करना चाहिए. जानिए वजह...
रक्षाबंधन से जुड़ी एक कथा है, जिसके अनुसार दानव राजा बली ने विष्णु जी को प्रसन्न करके उनसे अमरत्व का वरदान प्राप्त कर लिया था.
इससे देवी-देवता चिंतित हो गए कि वो अब इस वरदान का दुरपयोग न करे. देवताओं ने विष्णु जी से ये चिंता जाहिर की. तब विष्णु जी ने वामन अवतार लिया.
और राजा बली से 3 पग भूमि भिक्षा में मांग ली. राजा बली ने इसे स्वीकार कर लिया. तभी भगवान ने विशाल रूप धर लिया और अपने पहले पग में स्वर्ग, दूसरे पग में पृथ्वी को नाप लिया.
वहीं, तीसरे पग के लिए राजा बली ने अपना सिर ही वामन के सामने कर दिया. इससे विष्णु जी प्रसन्न हुए और उन्होंने राजा बली को पाताल लोक का राजा बना दिया.
इसके बाद राजा बली ने विष्णु जी से निवेदन किया कि वो पाताल लोग में निवास करें. उसके आग्रह पर विष्णु जी पाताल लोग चले गए. जिससे मां लक्ष्मी चिंतित हो गईं.
इसके बाद लक्ष्मी जी ने ब्राह्मण स्त्री का रूप धारण कर पाताल लोक जाकर राजा बली को अपना भाई बनाने की इच्छा जताई. बली ने ये इच्छा मान ली.
जैसे ही लक्ष्मी जी ने उसके कलाई पर राखी बांधी, भेंट में उन्होंने विष्णु जी को वापस मांग लिया. तब राजा बली ने विष्णु जी को वैकुंठ लौटने की अनुमति दे दी.
तभी से ऐसी मान्यता है कि रक्षाबंधन पर बहन को भाई के घर जाना चाहिए. वहीं, भाईदूज के दिन भाई को बहन के घर जाना चाहिए.