वट सावित्री व्रत में 7 बार कच्चा सूत क्यों लपेटती हैं सुहागिनें? जानिए महत्व
हिंदू धर्म में हर साल ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि को वट सावित्री व्रत रखा जाता है. इस साल ये व्रत 26 मई यानी आज रखा जा रहा.
सुहागिन महिलाओं के लिए वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व होता है. पत्नी अपने पति की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री व्रत रखती हैं.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि वट सावित्री व्रत पूजा के दौरान महिलाएं बरगद के पेड़ पर 7 बार कच्चा सूत क्यों बांधती हैं? आइए हम बताते हैं इसके पीछे का महत्व...
ऐसी मान्यता है कि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन यमराज ने देवी सावित्री के पति सत्यवार को बरगद के पेड़ के नीचे ही पुन: जीवित किया था.
इस पेड़ को अक्षय वट माना जाता है, क्योंकि इसका कभी क्षय नहीं होता. यही कारण है कि इस व्रत में वट वृक्ष की पूजा की जाती है.
वट सावित्री व्रत पूजा के दौरान महिलाएं बरगद के पेड़ के तने के चारों ओर 7 बार कच्चा सूत लपेटती हैं.
इसे पति-पत्नी के सात जन्मों के अटूट बंधन का संकेत माना जाता है. वैवाहिक जीवन में सात जन्मों का साथ बने रहने के लिए सात बार कच्चा सूत लपेटा जाता है .
वट वृक्ष की पूजा करने के बाद सावित्री-सत्यवान कथा का पाठ करना चाहिए और अंत में आरती भी करनी चाहिए.
बरगद के पेड़ की जड़ में ब्रह्मा, तने में भगवान विष्णु और डालियों पर भगवान शिव निवास करते हैं. वहीं, वृक्ष की शाखाओं को मां सावित्री का प्रतीक माना जाता है. इस वृक्ष की पूजा करने से त्रिदेव का आशीर्वाद मिलता है.