एक ऐसा वफादार कुत्ता, जिसने मालिक की मौत के 10 साल बाद भी किया इंतजार, भावुक कर देगी ये कहानी

Divya Rai
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Content Writer The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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World Most Loyal Dog Story: सोशल मीडिया पर ऐसी कई वीडियो वायरल होती रहती हैं, जिसमें जानवरों और इंसानों के बीच निःस्वार्थ प्रेम देखने को मिलता है. कहा जाता है कि कुत्ते अपने मालिक के प्रति काफी समर्पित और वफादार होते हैं. आज हम आपको एक ऐसी कहानी बताएंगे, जो यकीनन आपको भावुक कर देगी. दरअसल, ये कहानी है सबसे वफादार कुत्ते हचिको की, जिसने अपनी वफादारी के लिए दुनियाभर में इंसानों से ज्यादा ख्याति अर्जित की है.

जापान में हुआ था हचिको का जन्म

हचिको का जन्म 10 नवंबर, 1923 को जापान में हुआ था. ये एक क्रीम-सफेद अकिता नस्ल का कुत्ता है. हचिको के जन्म के एक साल बाद टोक्यो इंपीरियल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हिदेसाबुरो उएनो ने उसे गोद ले लिया और उसे अपने साथ टोक्यो के शिबुया ले गए.

उएनो जब भी अपने काम से बाहर जाता था, तो हचिको भी अपने मालिक को प्रतिदिन रेलवे स्टेशन तक छोड़ने जाता था. इतना ही नहीं, वो अपने मालिक को रिसीव करने के लिए स्टेशन जाया करता था. 1925 तक हचिको यही रुटीन फॉलो करता रहा. लेकिन एक दिन उएनो वापस ही नहीं लौटा. ब्रेन हेमरेज के कारण उएनो की मौत हो गई थी. रोजाना की तरह हचिको स्टेशन पर अपने मालिक का इंतजार करता रहा.

10 साल तक हचिको ने किया मालिक का इंताजर

उएनो के अंतिम संस्कार के दौरान हचिको को अपने मालिक की गंध आई. वो इस गंध को सूंघते हुए लिविंग रूम में जा पहुंचा और ताबूत के नीचे घुसकर उएनो के शरीर के मूभमेंट का इंताजर करने लगा. मालिक की मौत के बाद अगले कुछ महीनों तक हचिको शिबुया के बाहर अलग-अलग परिवारों के साथ रहा, लेकिन साल 1925 में वो यूनो के माली किकुसाबुरो कोबायाशी के साथ रहने लगा. यहां से फिर उसने स्टेशन जाना-आना शुरू कर दिया. वो स्टेशन पर अगले 10 सालों तक अपना मालिक का इंतजार करता रहा.

हचिको को लोग देते थे खाना और मिठाइयां

रोजाना रेलवे स्टेशन के टिकट गेट पर हचिको अपने मालिक को ढूंढ़ता रहता था. शुरुआती दिनों में लोग हचिको को उपद्रवी कुत्ता समझते थे. लेकिन साल 1932 में जापान के एक अखबार में उसकी एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई. इस रिपोर्ट के बाद हचिको दुनियाभर में मशहूर हो गया. लोग उसे रोजाना खाना और मिठाइयां खिलाचे थे और उसे दान भी दिया करते थे.

हचिको के सम्मान में लगाई गई कांस्य मूर्ति

आज भी हचिको को किताबों से लेकर फिल्मों तक में याद किया जाता है. साल 1934 में शिबुया स्टेशन पर एंडो ने हचिको की कांस्य मूर्ति लगावाई. वहीं, याल 1948 में हचिको के सम्मान में एक और प्रतिमा लगवाई गई, जो आज भी स्टेशन पर खड़ी है.

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