‘सिर्फ हथियार नहीं, भरोसे पर टिका है का रिश्ता’, रूसी राष्ट्रपति बोले- दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही भारत की अर्थव्यवस्था

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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India-Rassia: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की तारीफ करने के बाद अब भारत को ग्लोबल सुपरपॉवर लिस्ट में शामिल होने का हकदार बताया है. पुतिन के इस बयान से कई देशों के होश उड़े हुए है. दरअसल, सोचि में ‘वल्दाई डिस्कशन क्लब’ के सत्र को संबोधित करते हुए पुतिन ने गुरुवार को कहा कि भारत वैश्विक महाशक्तियों की सूची में शामिल होने का पूरी तरह हकदार है, क्योंकि वर्तमान में इसकी अर्थव्यवस्था अन्य देशों की तुलना में तेजी से बढ़ रही है.

भारत और रूस को एक-दूसरे पर गहरा विश्वास

रूसी राष्‍ट्रपति ने भारत को महान देश बताते हुए कहा कि हम भारत के साथ सभी दिशाओं में संबंध विकसित कर रहा है. साथ ही द्विपक्षीय संबंधों में दोनों देशों का एक-दूसरे पर गहरा विश्वास है. डेढ़ अरब की आबादी, दुनिया की सभी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज प्रगति, प्राचीन संस्कृति और भविष्य में विकास की बहुत अच्छी संभावनाओं के कारण भारत को नि:संदेह महाशक्तियों की सूची में शामिल किया जाना चाहिए.

आर्थिक प्रगति में भारत कर रहा दुनिया का नेतृत्व

पुतिन ने कहा कि भारत आर्थिक प्रगति के मामले में दुनिया का नेतृत्व कर रहा है. जबकि हमारा दृष्टिकोण आज की वास्तविकताओं पर आधारित है. पुतिन ने सुरक्षा और रक्षा क्षेत्र में दोनों देशों के बीच विकसि‍त हो रहे संपर्को को लेकर कहा कि कई प्रकार के रूसी सैन्य उपकरण भारतीय सशस्त्र बलों की सेवा में हैं. उन्‍होंने कहा कि हम भारत को केवल हथियार बेचते ही नहीं हैं, हम उन्हें संयुक्त रूप से डिजाइन भी करते हैं. पुतिन ने उदाहरण देते हुए ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल परियोजना का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि वास्तव में, हमने इस मिसाइल को जल थल और वायु तीन वातावरणों में इस्‍तेमाल के लिए उपयुक्त बनाया है.

भारत-चीन रिश्ते पर बोले पुतिन…

वहीं, दोनों देशों के बीच के रिश्‍ते को लेकर पुतिन ने कहा कि भारत-रूस का रिश्ता व्यापक रूप से ज्ञात है और किसी को भी इससे कोई समस्या नहीं है, हालांकि ये परियोजनाएं उच्च स्तर के आपसी विश्वास और सहयोग को प्रदर्शित करती हैं. इसलिए हम निकट भविष्य में यह जारी रखेंगे. इसके अलावा उन्‍होंने भारत और चीन के बीच सीमा पर कुछ कठिनाइयों को भी स्वीकार किया. लेकिन उन्‍होंने ये भी कहा कि अपने राष्ट्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए बुद्धिमान और सक्षम लोग समझौते की तलाश में हैं और अंततः उसे पा लेंगे.

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