Bullet Train के सिग्नलिंग और टेलीकॉम सिस्टम के लिए यूरोपीय तकनीक का किया जाएगा इस्तेमाल

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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भारत की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना को लेकर एक बड़ी अपडेट सामने आई है. जल्द ही इस परियोजना के सिग्नलिंग और टेलीकम्युनिकेशन सिस्टम का ठेका यूरोपीय कंपनियों को मिल सकता है. नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) द्वारा जारी टेंडर के तकनीकी मूल्यांकन का काम पूरा हो चुका है. इस अनुबंध के लिए जर्मनी की दिग्गज कंपनी Siemens और अहमदाबाद स्थित दिनेन्द्रचंद्र आर. अग्रवाल इन्फ्राकॉन प्राइवेट लिमिटेड की संयुक्त साझेदारी ने सबसे कम बोली लगाई है.
अधिकारियों के मुताबिक इस संयुक्त उद्यम की बोली ₹4,100 करोड़ रही, जो कि शुरुआती अनुमानों से काफी कम है. वहीं इस टेंडर में केवल एक और बोली लगी, जो फ्रांस की Alstom और भारत की Larsen & Toubro (L&T) की साझेदारी की ओर से थी. उन्होंने करीब ₹12,600 करोड़ की बोली लगाई, जो सबसे कम बोली से तीन गुना अधिक थी. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “स्थानीय तकनीक के उपयोग और स्वदेशीकरण की दिशा में किए गए प्रयासों के कारण इतनी बड़ी लागत बचत संभव हो पाई है.” रेलवे बोर्ड पहले केवल जापानी तकनीक पर निर्भर था, लेकिन अब भारत इस परियोजना के लिए देशी और विदेशी तकनीक का मिलाजुला मॉडल अपनाने की दिशा में बढ़ रहा है.
इसके साथ ही, जापानी कंपनियों से बातचीत भी जारी है. भारत को शिंकानसेन के E3 और E5 वेरिएंट की ट्रेनें मिलने की उम्मीद है, जिनका परीक्षण कर यह देखा जाएगा कि भारत के लिए इन ट्रेनसेट्स में क्या बदलाव जरूरी हैं. साथ ही E10 वेरिएंट के विकास पर भी विचार हो रहा है. जापानी ट्रेनों के अलावा भारत सरकार ने इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) को घरेलू स्तर पर बुलेट ट्रेन विकसित करने का जिम्मा सौंपा है.
इसके लिए ICF ने रक्षा क्षेत्र की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी BEML के साथ भागीदारी की है. ये ट्रेनें 280 किमी प्रति घंटे की रफ्तार तक चलने में सक्षम होंगी. ICF द्वारा इन ट्रेनों की कीमत ₹866.87 करोड़ तय की गई है, जिसमें एक कोच की कीमत ₹27.86 करोड़ होगी. इस लागत में डिज़ाइन, एक बार का विकास खर्च, टूलिंग, जिग्स-फिक्सचर्स और टेस्टिंग की लागतें भी शामिल हैं.
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