Amarnath Yatra 2025: इस साल 3 जुलाई 2025 से अमरनाथ शुरू होने वाली है. ये यात्रा 9 अगस्त तक जारी रहेगी. भगवान शिव शंकर के जयकारों के बीच भगवती नगर बेस कैंप से बुधवार सुबह अमरनाथ यात्रा के लिए जम्मू से पहला जत्था रवाना हो गया है. अमरनाथ यात्रा हिंदूओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ यात्रा है. श्री अमरनाथ धाम में देवाधिदेव महादेव को साक्षात विराजमान माना जाता है. अमरनाथ धाम को धरती का स्वर्ग भी कहा जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अमरनाथ धाम यात्रा क्यों इतनी विशेष है. आइए जानते हैं इसके महत्व और रहस्य के बारे में…
भगवान शिव का निवास स्थान है अमरनाथ गुफा
दरअसल, अमरनाथ गुफा भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है. इस पवित्र गुफा में हिमशिवलिंग के साथ ही एक पार्वती पीठ और गणेश पीठ भी बर्फ से प्राकृतिक रूप में निर्मित होती है. पार्वती पीठ को शक्ति पीठ के नाम से भी जाना जाता है. अमरनाथ स्वामी की पवित्र गुफा में प्रत्येक वर्ष प्राकृतिक हिमशिवलिंग यानि बर्फ से बनने वाले की पूजा की जाती है. यहां बर्फ से बनने वाला प्राकृतिक हिमशिवलिंग अपने आप में अदभुत और अलौकिक शिवलिंग है.
क्या है अमरनाथ यात्रा का रहस्य
हिंदू धर्म में अमरनाथ गुफा का (Amarnath Yatra 2025) एक अलग ही महत्व है. अमरनाथ गुफा को अमरेश्वर भी कहते हैं. अमरनाथ यात्रा के दौरान लोग बाबा-बर्फानी के दर्शन करने के लिए आते हैं, जो कि अमरनाथ यात्रा के अंदर एक स्वयंभू रूप में स्थापित है. यहां गुफा में हर साल बर्फ से शिवलिंग बनता है. यहां शिवलिंग के साथ-साथ माता पार्वती और भगवान गणेश की संरचना निर्मित होती है. इन्हीं रहस्यों के चलते हिंदू धर्म में अमरनाथ यात्रा का विशेष महत्व है. पौराणिक मान्यतानुसार जो लोग अमरनाथ की यात्रा सच्चे मन से करते हुए बाबा बर्फानी का दर्शन करते हैं उनके सारे दुख दर्द भोलेनाथ की कृपा से समाप्त हो जाते हैं.
किसने की थी अमरनाथ की खोज
पौराणिक कथाओं के अनुसार सबसे पहले भृगु ऋषि ने अमरनात गुफा की खोज की थी. बताया जाता है कि भृगु अमरनाथ में शिव के दर्शन करने वाले पहले व्यक्ति थे. उनके बाद कई सालों तक लोगों को इस गुफा के बारे में पता नहीं चला. जिसके बाद बताया जाता है कि 1850 में बूटा सिंह मलिक नामक मुसलमान को यहां एक साधु ने टोकरी दी. घर आकर देखा तो टोकरी में रखें फूल सोना हो गए. बूटा मलिक जब साधु को खोजने वापस गया तो वहां पर बर्फ का शिवलिंग मिला. जिसके बाद बूटा सिंह ने इसकी जानकारी लोगों की दी. आज भी इस गुफा की देखभार बूटा सिंह का परिवार करता है.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. The Printlines इसकी पुष्टि नहीं करता है.)