इजरायल के साथ सीजफायर के बाद भी सीरिया में हो रहे हमले, मित्र देश ने ही की बमबारी

Raginee Rai
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Turkey Syria Airstrike: इजरायल और सीरिया के बीच सीजफायर हो गया है लेकिन फिर भी सीरिया पर हमले हो रहे है. सोमवार को सीरिया के अलेप्पो में भीषण बमबारी हुई. ये हवाई हमले इजरायल की ओर से नहीं बल्कि सीरिया के दोस्‍त तुर्की की ओर से की गई है. इन हमलों में सीरिया डेमोक्रेटिक फोर्सेस के ठिकानों को टारगेट किया गया है.

अलेप्‍पो में तुर्की फाइटर जेट्स ने किए एयरस्‍ट्राइक

बता दें कि इजरायल की ओर से ड्रूज समुदाय को लेकर सीरिया पर किए गए हमले रोक दिए गए हैं. इजरायल और सीरिया में फिलहाल सीजफायर है. ऐसे में लगने लगा था कि सीरिया में शांति लौट रही है, लेकिन इसी बीच सोमवार को तुर्की ने जो किया, उससे एक बार फिर सीरिया संकट में आ गया है. ईरान की मेहर न्‍यूज एजेंसी के अनुसार, सीरिया में उत्तरी अलेप्पो में आज तुर्की के लड़ाकू विमानों ने जबरदस्त हवाई हमले किए है. इन विमानों का निशाना एसडीएफ के ठिकाने थे. इस हमले में हताहतों की संख्‍या सामने नहीं आई है.

सीरिया पर तुर्की ने क्‍यों की बमबारी?

सीरिया पर तुर्की हमले में SDF को निशाना बनाया गया. इसकी वजह YPG माना जा रहा है, ये कुर्द लड़ाकों का ही एक समुह है, जो SDF का नेतृत्‍व करता है. इस संगठन को तुर्की अमेरिका और ईयू आतंकी संगठन मानते हैं. वाईपीजी कुर्द लड़ाकों के ही एक दूसरे संगटन पीकेके का सहयोगी है, इसीलिए तुर्की सीधे तौर पर इसे अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानता है.

तुर्की की कोशिश है कि सीरिया की सीमा के अंदर तकरीबन 30 किलोमीटर तक के हिस्से को एसडीएफ के कब्जे से खाली कराया जाए, ताकि उसे सेफ जोन घोषित कर सीरियाई शरणार्थी बसाए जा सकें. इसके अलावा तुर्की एसडीएफ पर हमला कर अमेरिका पर दबाव भी बनाना चाहता है. दरअसल अमेरिका एसडीएफ के पक्ष में रहा है, अमेरिका के ओर से एसडीएफ को कई आईएसआईएस से मुकाबले में सहयोग और हथियार भी प्रदान किए गए थे.

अक्सर हमले करता रहता है तुर्की

तुर्की की ओर से इस इलाके में एसडीएफ या वाईपीजी पर हमले करना आम है, यहां तुर्की अक्सर रॉकेट या ड्रोन से हमला करता रहता है. खास बात ये है कि इन हमलों को तुर्की अपनी आत्मरक्षा में उठाया गया कदम बताता है. हालांकि बशर अल असद की सरकार गिरने के बाद से तुर्की की ओर से पहली बार ऐसा हमला हुआ है.

मालूम हो सीरिया में तख्‍तापलट के बाद देश में अहमद अल शरा का शासन है जो एचटीएस के चीफ रहे हैं. मध्‍य पूर्व के विशेषज्ञों का मानना है कि बेशक तुर्की का सीरिया के तख्तापलट में सीधा हाथ नहीं था, लेकिन एचटीएस को समर्थन देने और अल शरा को राष्ट्रपति बनाने में वह पर्दे के पीछे लगातार सक्रिय रहा.

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