Kargil Vijay Diwas: आज पूरा देश कारगिल विजय दिवस के 26 वर्ष पूरे होने पर अपने वीर शहीद सपूतों को याद कर रहा है. इसी बीच कारगिल युद्ध में अपना पराक्रम दिखाने वाले और देश के लिए अपने जीवन का बलिदान देने वाले कैप्टन विक्रम बत्रा के भाई विशाल बत्रा का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि मैं हर दिन अपने भाई के बारे में सोचता हूं.
विशाल बत्रा ने कहा…
कैप्टन विक्रम बत्रा के भाई विशाल बत्रा ने कहा, “आज मैं उन सभी बहादुरों और उनके परिवारों को याद करता हूं जिन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान सर्वोच्च बलिदान दिया. आज भी, अगर आप द्रास और कारगिल जाएं, जहां युद्ध लड़ा गया था, तो हमारे बहादुर सैनिक आज भी उन ऊंचाइयों की रक्षा उसी तरह करते हैं जैसे उन्होंने 26 साल पहले की थी. जुड़वां भाई होने के नाते, मैं हर दिन अपने भाई विक्रम के बारे में सोचता हूं. मेरे भाई और उनके जैसे अन्य लोगों की वजह से ही आज देश सुरक्षित है.”
#WATCH | Kargil Vijay Diwas | Chandigarh: Brother of Captain Vikram Batra, PVC, Vishal Batra says, "Today I remember all the bravehearts and their families who gave the supreme sacrifice during the Kargil War. Even today, if you go to Dras and Kargil, where the war was fought,… pic.twitter.com/zfEytDd8G0
— ANI (@ANI) July 26, 2025
कैप्टन विक्रम बत्रा के बारे में जानें
26 साल पहले साल 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध हुआ था. इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तानी सैनिकों को करारी शिकस्त दी थी और पाक सैनिकों को भागने पर मजबूर कर दिया था. इस दौरान भारत के 527 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे और 1300 से अधिक घायल हुए थे. भारतीय सुरक्षा बलों की यह कार्रवाई “ऑपरेशन विजय” के तहत की गई थी.
इस दौरान शहादत देने वाला हर भारतीय जांबाज भारत का हीरो है. कैप्टन विक्रम बत्रा भी इन्हीं हीरोज में से एक हैं. कारगिल युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा की बहादुरी के किस्से आज भी देश में पूरे गर्व के साथ सुनाए जाते हैं और बताया जाता है कि कैसे एक कम उम्र के जवान ने भारत मां की रक्षा के लिए अपने जीवन का हंसते-हंसते बलिदान दे दिया. उन्हें मरणोपरांत भारतीय सेना के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से नवाजा गया था.
1996 में ज्वाइन की सेना
कैप्टन विक्रम बत्रा का जन्म 1974 में हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में जन्में कैप्टन विक्रम बत्रा ने 1996 में भारतीय सेना की संयुक्त रक्षा परीक्षा पास की थी और सेना में कमीशन लेकर लेफ्टिनेंट बने थे. ‘ऑपरेशन विजय’ के दौरान 20 जून 1999 को डेल्टा कंपनी कमांडर कैप्टन विक्रम बत्रा को प्वाइंट 5140 पर आक्रमण करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. उन्होंने अपने दस्ते का सबसे आगे रहकर नेतृत्व किया और दुश्मन पर भारी पड़े.
7 जुलाई 1999 को प्वाइंट 4875 के पास विक्रम बत्रा को एक ऐसी संकरी चोटी से दुश्मन के सफाए का कार्य सौंपा गया जिसके दोनों ओर बड़ी ढलान थी. इस दौरान भी उन्होंने अदम्य साहस का परिचय देते हुए आमने-सामने की लड़ाई में दुश्मन के 5 सैनिकों को ढेर किया. दुश्मन की ओर से हो रही भारी गोलाबारी के बाद भी उन्होंने प्वाइंट 4875 को लेकर मिली जिम्मेदारी को पूरा किया, लेकिन गंभीर रूप से घायल होने के बाद शहीद हो गए.
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