अमेरिका द्वारा भारत से आयात होने वाले कई उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने के फैसले के बावजूद भारत का कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार फिलहाल दबाव में नहीं आने वाला है.बार्कलेज रिसर्च की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, भले ही टैरिफ बढ़ोतरी से कुछ सेक्टर्स प्रभावित हो सकते हैं, लेकिन भारतीय कंपनियों की मजबूत बुनियाद और घरेलू फंडिंग एक्सेस उन्हें स्थिर बनाए रखेगी.
कॉरपोरेट क्रेडिट पर असर नहीं पड़ेगा
बार्कलेज रिसर्च ने बुधवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि अमेरिका की ओर से बढ़े टैरिफ के बावजूद भारतीय कॉरपोरेट्स की क्रेडिट प्रोफाइल पर कोई गंभीर असर नहीं दिखेगा. इसकी प्रमुख वजह यह है कि भारतीय कंपनियां विदेशी फंडिंग पर बहुत अधिक निर्भर नहीं हैं और उन्हें घरेलू बाजार से पर्याप्त वित्तीय सहायता मिल जाती है.
कितना बढ़ा है टैरिफ?
रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका द्वारा भारत पर लागू ट्रेड-वेटेड टैरिफ रेट अब 50% तक पहुंच गया है, जबकि 2025 की शुरुआत में यह दर केवल 2.7% थी। हाल ही में यह 20.6% थी, जिसमें अब अचानक तेज़ उछाल देखा गया है. दूसरी ओर, भारत अमेरिका से आने वाले उत्पादों पर औसतन सिर्फ 9.4% टैरिफ लगाता है.
किन सेक्टर्स पर पड़ेगा असर?
टैरिफ बढ़ोतरी से स्मार्टफोन, पेट्रोलियम और फार्मा जैसे सेक्टर फिलहाल अछूते रहेंगे। लेकिन जेम्स और ज्वेलरी, कपड़ा, इलेक्ट्रिकल मशीनरी और इंजीनियरिंग उत्पादों पर असर पड़ सकता है. रिपोर्ट का कहना है कि इन क्षेत्रों से जुड़े निर्यातकों को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन इससे समग्र कॉरपोरेट क्रेडिट पर तत्काल कोई बड़ा असर नहीं होगा.
भारत-अमेरिका के बीच डायलॉग जारी
इस मुद्दे को लेकर भारत और अमेरिका के बीच लगातार बातचीत चल रही है. सोमवार को वर्चुअल 2+2 अंतर-सत्रीय बैठक में दोनों देशों के अधिकारियों ने व्यापार, निवेश, ऊर्जा सुरक्षा, खनिजों की खोज, असैन्य परमाणु सहयोग और आतंकवाद जैसे विषयों पर चर्चा की.
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