इस देश में विदेशी फिल्में देखने पर दे दी जाती है मौत की सजा, UN रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Crimes Against Humanity: संयुक्त राष्ट्र (UN) की ओर से उत्‍तर कोरिया को लेकर हाल ही में एक ऐसी रिपोर्ट पेश की गई है, जिसने पूरी दुनिया के सामने उत्तर कोरिया की क्रूर सच्चाई को सामने लाकर रख दिया है. दरअसल, यूएन के इस रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर कोरिया की सरकार विदेशी फिल्में और टीवी शो देखने जैसे कामों के लिए भी लोगों को मौत की सज़ा दे रही है. नार्थ कोरिया की तानाशाही हुकूमत, जो पहले से ही बाकी दुनिया से लगभग कटी हुई है, और अब अपने ही नागरिकों पर ज़ुल्म की सारी हदें पार कर रही है.

जीवन के हर पहलू पर सरकार का शिकंजा

रिपोर्ट में कहा गया है कि वहां की सरकार लोगों से जबरन मजदूरी करवा रही है और उनकी आज़ादी को पहले से भी ज़्यादा छीन रही है. संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय ने पाया कि पिछले एक दशक में, उत्तर कोरिया की सरकार ने “नागरिकों के जीवन के हर पहलू” पर अपना नियंत्रण और भी सख़्त कर दिया है.

पूरी दुनिया से अलग नार्थ कोरिया के नियम कानून

रिपोर्ट का निष्कर्ष यह है कि “आज की दुनिया में किसी भी और देश की आबादी पर इस तरह की पाबंदियां नहीं हैं.” टेक्नोलॉजी के विकास की मदद से सरकार की निगरानी और भी ज़्यादा बढ़ गई है, जिससे वहां के लोगों का दम घुट रहा है. ऐसे में संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त, वोल्कर टर्क ने चेतावनी दी है कि यदि आगे भी यही स्थिति बनी रही, तो उत्तर कोरिया के लोग “और भी अधिक पीड़ा, क्रूर दमन और उस डर को झेलने के लिए मजबूर होंगे, जिसे वे इतने लंबे समय से सहते आ रहे हैं.”

सरेआम दी जा रही है मौत की सज़ा

संयुक्‍त राष्‍ट्र की यह रिपोर्ट पिछले 10 वर्षो में कोरिया से भागकर आए 300 से ज़्यादा लोगों से की गई बातचीत पर आधारित है, जिससे पता चलता है कि देश में मौत की सज़ा का इस्तेमाल अब पहले से ज़्यादा हो रहा है. दरअसल, उत्‍तर कोरिया में 2015 के बाद करीब 6 ऐसे नए कानून बनाए गए, जिनके तहत मौत की सज़ा दी जा सकती है. इनमें से एक अपराध विदेशी मीडिया कंटेंट, जैसे कि फिल्में और टीवी शो, को देखना और दूसरों के साथ बांटना भी है.

सरेआम मार दी जाती है गोली

उत्‍तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन यह सुनिश्चित करने में लगे हैं कि लोगों तक बाहर की कोई जानकारी न पहुंचे. दरअसल, नार्थ कोरिया से भागकर आए लोगों ने UN के शोधकर्ताओं को बताया कि 2020 के बाद से विदेशी कंटेंट बांटने के आरोप में मौत की सज़ा देने के मामले बढ़ गए हैं. ये सज़ाएं सरेआम दी जाती हैं. लोगों को डराने और कानून तोड़ने से रोकने के लिए दोषियों को सबके सामने गोली मार दी जाती है.

लोगों में दहशत का माहौल

वहीं, साल 2023 में उत्तर कोरिया से भागी कांग ग्युरी ने बताया कि उनके तीन दोस्तों को दक्षिण कोरियाई कंटेंट के साथ पकड़े जाने के बाद मौत की सज़ा दे दी गई थी. वह अपने 23 साल के एक दोस्त के मुकदमे के दौरान मौजूद थीं, जिसे मौत की सज़ा सुनाई गई.  उन्होंने कहा कि “उस पर ड्रग्स के अपराधियों के साथ मुकदमा चलाया गया. अब इन दोनों अपराधों को एक जैसा माना जाता है.” उन्होंने यह भी बताया कि साल 2020 के बाद से लोग और भी ज़्यादा डर गए हैं.

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