हॉलीवुड के इस दिग्गज अभिनेता का निधन, नींद में ही चली गई जान, जानें कौन है ये शख्स?

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Utah: दुनिया भर में अपने अभिनय और निर्देशन की कला से हैरान कर देने वाले हॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता, ऑस्कर विजेता निर्देशक रॉबर्ट रेडफोर्ड का निधन हो गया है. 89 वर्षीय रॉबर्ट ने यूटा के सनडांस स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली. इस दौरान उनका परिवार और प्रियजन भी साथ रहे. रॉबर्ट का निधन नींद में ही हो गया, सोने के बाद वो उठे ही नहीं.

दमदार अभिनय ने उन्हें बना दिया दर्शकों का चहेता

1960 के दशक में फिल्मों में कदम रखने वाले रॉबर्ट रेडफोर्ड ने जल्द ही खुद को हॉलीवुड के सबसे प्रतिभाशाली अभिनेताओं में स्थापित कर लिया. उनके सुनहरे बाल, मासूम मुस्कान और दमदार अभिनय ने उन्हें दर्शकों का चहेता बना दिया. ‘बुच कैसिडी एंड द सनडांस किड’ और ‘ऑल द प्रेसीडेंट्स मेन’ जैसी फिल्मों ने उन्हें एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया. 1970 के दशक तक वे हॉलीवुड के सबसे बड़े सितारों में शुमार हो गए.

सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का ‘ऑस्कर’ जीतकर रच दिया इतिहास

अभिनय के साथ-साथ रेडफोर्ड ने निर्देशन के क्षेत्र में भी बेहतर काम किया. उनकी फिल्म ‘ऑर्डिनरी पीपल’ ने 1980 में सर्वश्रेष्ठ फिल्म और सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का ‘ऑस्कर’ जीतकर इतिहास रच दिया. इसके अलावा ‘ए रिवर रन थ्रू इट’ जैसी फिल्मों ने भी उन्हें एक संवेदनशील और गहरे सोच वाले फिल्मकार के रूप में स्थापित किया. रेडफोर्ड का सिनेमा प्रेम केवल मुख्यधारा की फिल्मों तक सीमित नहीं रहा.

रेडफोर्ड को कहा जाता है ‘इंडी सिनेमा’ का ‘गॉडफादर’

उन्होंने 1981 में ‘सनडांस इंस्टीट्यूट’ की स्थापना की, जिसने स्वतंत्र फिल्मकारों को मंच दिया. यही संस्था आगे चलकर सनडांस फिल्म फेस्टिवल का आधार बनी जो आज दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित फिल्म समारोहों में गिना जाता है. रेडफोर्ड को ‘इंडी सिनेमा’ का ‘गॉडफादर’ कहा जाता है. सिनेमा से परेए रेडफोर्ड का दिल हमेशा प्रकृति और पर्यावरण के लिए धड़कता रहा. 1961 में उन्होंने यूटा के पहाड़ों में अपना घर बसाया और वहां के प्राकृतिक सौंदर्य को बचाने के लिए कई अभियानों का नेतृत्व किया.

उदारवादी विचारों के समर्थक थे रेडफोर्ड

वे अमेरिकी पश्चिम के प्राकृतिक परिदृश्यों की रक्षा के बड़े पैरोकार रहे. रेडफोर्ड ने अपने जीवन को केवल ग्लैमर तक सीमित नहीं रखा. वो उदारवादी विचारों के समर्थक थे और सामाजिक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखते थे. उनकी मृत्यु ने फिल्म जगत में गहरा शून्य छोड़ दिया है.

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