Syrian parliamentary elections: सीरिया में बशर अल-असद के सत्ता से हटने के बाद पहली बार नई संसद के लिए चुनाव हुए, जिसके नतीजे भी सोमवार को सामने आ गए. लेकिन अल-असद के सत्ता से हटने के बाद भी सीरिया की वहीं तस्वीर दिखाई दी. इस चुनाव में महिलाओं और धार्मिक अल्पसंख्यकों को बहुत कम सफलता मिली.
बता दें कि रविवार को सीरिया में अप्रत्यक्ष मतदान में लगभग 6,000 क्षेत्रीय प्रतिनिधियों ने 210 सीटों वाली संसद के दो-तिहाई हिस्से के लिए मतदान किया. शेष एक-तिहाई सदस्यों की नियुक्ति खुद राष्ट्रपति अहमद अल-शरा करेंगे. इस दौरान सीरिया की नई संसद में कुल 119 निर्वाचित सांसदों में से सिर्फ 6 महिलाएं शामिल हैं. वहीं धार्मिक अल्पसंख्यकों में केवल चार चेहरे हैं.
पारदर्शिता पर उठ रहे गंभीर सवाल
चुने गए सांसदों में 10 सीटें धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों के हिस्से आई हैं, एक ईसाई एक इस्माइली मुस्लिम और दो अलावी समुदाय से, जो असद का ही मूल संप्रदाय है. इसके अलावा जातीय अल्पसंख्यकों में तीन तुर्कमेन और तीन कुर्द नेता चुने गए हैं. इनमें एक महिला भी शामिल है.
ऐसे में एक चुनाव पर्यवेक्षक ने बताया कि नया संसद सत्र “लगभग पूरी तरह सुन्नी मुस्लिम और पुरुष बहुल” है. उन्होंने कहा कि अपील दर्ज करने के लिए दिए गए कुछ घंटों के छोटे समय ने पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
सीरियाई संसद में महिलाओं की भागीदारी बेहद सीमित
बता दें कि असद शासन में सीरियाई संसद में भी महिलाओं की भागीदारी बेहद सीमित रही थी. आंकड़ों के अनुसार, 1981 से लेकर असद के पतन तक, संसद में महिलाओं की हिस्सेदारी सिर्फ 6% से 13% के बीच रही. अब भी यह आंकड़ा लगभग समान ही है. ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जब तक राष्ट्रपति अल-शरा द्वारा नियुक्त 70 सदस्य विविधता नहीं लाते, तब तक नई संसद भी पुरानी सत्ता की छाया मात्र बनी रहेगी.
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