Hanimaadhoo Airport : वर्तमान में भारत और मालदीव के बीच एक बड़ा क्षेत्रीय सहयोग देखने को मिल रहा है. प्राप्त जानकारी के अनुसार इस सप्ताह मालदीव में हनीमाधू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन किया गया. बता दें कि यह परियोजना भारत की वित्तीय और तकनीकी सहायता से पूरी की गई है. इसी बीच अब यह सवाल उठता है कि भारत की मदद से बने इस इंटरनेशनल एयरपोर्ट का किराया क्या भारत को भी मिलेगा. इससे पहले जानेंगे इस हवाई अड्डे के निर्माण में भारत की क्या भूमिका रही.
हवाई अड्डे के निर्माण में भारत की भूमिका
जानकारी देते हुए बता दें कि मालदीव के उत्तरी भाग में बना यह नया हवाई अड्डा 2019 में भारत के ईएक्सआईएम बैंक द्वारा दिए गए 800 मिलियन डॉलर की ऋण सहायता से तैयार हुआ है. बता दें कि इस लोन के तहत 13.66 करोड डॉलर का निर्माण ठेका भारत की जेएमसी प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को दिया गया था. बताया जा रहा है कि इसी कंपनी ने इस परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा किया.
हिंद महासागर क्षेत्र में संपर्क और क्षेत्र विकास को बढ़ाना
बता दें कि इस हवाई अड्डे को एयरबस ए320 और बोइंग 737 जैसे बड़े कमर्शियल विमानों के संचालन के लिए डिजाइन किया गया है. इसके साथ ही इसकी सालाना यात्री क्षमता 13 लाख यात्रियों की है. प्राप्त जानकारी के अनुसार इसका रनवे काफी आधुनिक है और साथ ही यह हवाई अड्डा एडवांस्ड टर्मिनल फैसेलिटीज से सुसज्जित है. इन नीतियों का मुख्य उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र में संपर्क, समुद्री सहयोग और क्षेत्र विकास को बढ़ाना है.
हवाई अड्डे का भारत को नही मिलेगा किराया
इसके साथ ही यह भी बता दें कि इस हवाई अड्डे से भारत को कोई भी किराया या राजस्व नहीं मिलेगा. क्योंकि यह धन ऋण के रूप में दिया गया था, न कि स्वामित्व आधारित निवेश के रूप में. तो इसका मतलब है कि भारत को हवाई अड्डे का स्वामित्व या किराया नहीं मिलेगा. मालदीव सरकार ईएक्सआईएम बैंक के साथ सहमत शर्तों के मुताबिक ऋण चुकाएगी और इस हवाई अड्डे का पूरा राजस्व सीधे मालदीव को ही मिलेगा. सबसे महत्वपूर्ण बात इस पूरी परियोजना में भारत की भूमिका एक विकास भागीदार की रही है, ना कि लाभ प्राप्त निवेदक की.
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